सोजना (विश्व परिवार)। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य प्रखर वक्त मुनिश्री 108 संधानसागर जी महाराज ने सोजना, दिगम्बर जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि- मंदिर क्यों जायें? पहले के पुत्र-पुत्री श्रद्धावान होते थे, पिताजी-मां मंदिर जाते हैं तो हमें भी जाना है, किन्तु आज के बेटा-बेटी बुद्धि-तर्क से चलते हैं वे हर कार्य में पुछते हैँ कि क्यों करें? मंदिर जाने की क्या आवश्यकता है, पूज्य मुनिश्री में तीन-चार उदाहरणों से इसी बात को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि हवा सर्वत्र है किन्तु यदि गाड़ी में हवा कम हो जाये तो फिलिंग स्टेशन जाना पड़ेगा, उसी प्रकार भगवान सब जगह है किन्तु जो उर्जा का प्रवाह मंंदिर में है वह सब जगह नहंी हो सकता। पूज्य श्री ने कहा कि जैसे जो डॉक्टर ओ.पी.डी. में हैं वहीं डॉक्टर ओ.टी. (ऑपरेशन थियेटर) में हैं, किन्तु जब भी ऑपरेशन करना होता है, ओ.टी. में ही होता है कभी भूलकर भी ओ.पी.डी. में ऑपरेशन नहंी करते क्यों? क्योंकि इन्फेक्शन हो जाएगा, बस यही बात कहना चाहुंगा कि मंदिर का काम मंदिर में करो, भगवान के दर्शन, पूजा हेतु भगवान के मंदिर में ही जाना आवश्यक है, यदि आप मंदिर का काम घर-धर्मशाला में करोगे तो इन्फेक्शन में जाएगा। पूज्य मुनिश्री जी ने कहा कि घर में टी.वी. स्वरलहरियांं का इन्फेक्शन, मोबाइल का इन्फेक्शन, सब्जी की छौंक का इन्फेक्शन, बच्चों की किलकारियों का इन्फेक्शन होगा, इन सभी से बचने का उपाय है तो जिनालय, जिनमंदिर चैत्याल्य में जाकर दर्शन करना है। पूज्य मुनिश्री जी ने सोजना के मंदिर की प्रशंसा करते हुए कहा कि पुराने जमाने के लोग भले ही पढ़े-लिखे कम होते थे किन्तु समझदार ज्यादा होते थे। पूज्य आचार्य श्री जी ने एक हायकू दिया- हम अधिक पढ़े-लिखे हैं, कम समझदार हैं आज का इंसान डिग्री तो ले लेता है, परन्तु ज्ञान के क्षेत्र में शून्य होता है, पहले के लोग 4-5 फीट चौड़ी दिवारों से इस भव्य जिनालय को बनाये थे। आज के वास्तुशास्त्री, ऑर्किटेक्ट एवं इंजीनियर तो कहते हैँ इतनी चौड़ी दीवार में लोग अपना समय एवं श्रम बर्बाद कर देते हैं, वे मात्र 4-5 इंच की दिवार बनवा रहे हैं। मुनिश्री जी ने कहा कि पहले के मंदिर अथवा भवन आज भी वातानुकूलित बने हुए हैं। बाहर गर्मी होती है तो भीतर ठण्डा रहता है और बाहर सर्दी होती है तो भीतर गरम बना रहता है। पूज्य मुनिश्री जी ने अंत में कहा कि हमें इतिहास लौटाना है। यंत्र के युग को छोड़ मंत्र के युग में पुन: लौटना है, आने वाला भारत निश्चित ही स्वर्णिम होगा।
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