गौरेला(विश्व परिवार)– महापुरुषों के अतीत की व्यथा वर्तमान की कथा बन जाती है और वर्तमान युग व्यथा की कथा से लाभान्वित हो जाता है। निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने कुण्डलपुर के समीप पटेरा ग्राम में जिज्ञासा शंका समाधान करते हुये दी। महापुरुष यदि अपने अंतरंग के भावों को बाहर उद्घाटित न करे तो उनका अनुमान लगाकर व्यक्त करने का हमें न तो अधिकार है न हि ऐसी कोई चेष्टा करना चाहिए।
मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन में अनेक व्यथा अनेक कष्ट आये। उनके जीवन की ये व्यथा वर्तमान में कथा के माध्यम से हमें ज्ञात होती हैं। आदिनाथ भगवान के जीवन की व्यथा को वर्तमान में कथा के रूप में हम जानते मानते और सीखते हैं। महापुरुष की व्यथा वर्तमान में कथा रूपी उपकार है। जो वर्तमान को ज्ञान ,दशा और दिशा प्रदान करती है।