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आकाश के बाद अब पाताल को भेदने की है तैयारी, आ रहा है भारत का समुद्रयान, 2025 तक मिशन होगा पूरा …

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 (विश्व परिवार)-चंद्रयान के बाद अब इसरो अपने महत्वकांक्षी समुद्रयान अभियान की तैयारी में लग गया है. इसरो ने समुद्रयान मिशन में बड़ी सफलता हासिल की है. रविवार को बंगाल की खाड़ी में समुद्र के अंदर कुछ टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे गए. इसके बाद पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि समुद्रयान मिशन को 2025 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कहा भारत समुद्र की गहराई में भी खोज करने के लिए तैयार है.

6000 करोड़ का है बजट

इस पूरी समुद्रयान परियोजना के लिए छह हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इसमें लगे सबमर्सिबल को मत्स्य-6000 नाम दिया गया है. इसे टाइटेनियम धातु से बना है. इसका व्यास 2.1 मीटर है. यह यान तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाने में सक्षम है.

इससे क्या फायदा होगा?

कोबाल्ट, मैंगनीज और निकल के अलावा, रासायनिक जैव विविधता, हाइड्रोथर्मल वेंट और कम तापमान वाले मीथेन का पता लगाया जाएगा. इस मिशन में भारत ‘मत्स्य’ सबमर्सिबल में तीन लोगों को भेजेगा. यह सबमर्सिबल 6000 मीटर की गहराई तक दबाव झेलने की क्षमता रखता है

यह सबमर्सिबल पानी के अंदर 12 से 16 घंटे तक लगातार काम कर सकता है. इसमें 96 घंटे के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन सिस्टम होगा. ‘मत्स्य’ 6000 सबमर्सिबल समुद्र में जहाज के संपर्क में रहेंगे. मत्स्य 6000 25 टन का है और इसकी लंबाई 9 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर है.

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