जतारा(विश्व परिवार) | बुंदेलखंड गौरव श्रमणाचार्य श्री विमर्श सागर जी महाराज की जन्म नगरी, श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र आदिश्वर धाम जतारा में ,परम पूज्य युग शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रिय शिष्य एवं परम पूज्य नवाचार्य श्री समय सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती, परम पूज्य श्री सौम्य सागर जी, निश्चल सागर जी एवं निरापद सागर जी महाराज ससंघ के मंगल सानिध्य में गुरु नाम गुरु आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज का 52वां समाधि दिवस पूर्ण भव्यता से मनाया गया ।
भारतीय जैन संगठन तहसील अध्यक्ष एवं जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि प्रातः काल की बेला में राजेंद्र कुमार, देवेंद्र कुमार, शैंकी बुखारिया आचार्य भगवन महा मांगलिक पूजन हेतु गाजे बाजे के साथ अष्ट मंगल द्रव्य लेकर जिनालय प्रांगण में पहुंचे जहा श्री जी के सामूहिक अभिषेक, शांति धारा उपरांत पूज्य आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज एवं आचार्य विद्यासागर जी महाराज की पूजन संपन्न की गई । श्री जी की शांति धारा करने का सौभाग्य सप्तम प्रतिमा धारी हरिश्चंद्र, अशोक कुमार, धीरेंद्र कुमार, इंजी.अतिशय जैन, इंजी. संतोष कुमार मोदी, डॉ सुनील कुमार -श्रीमती इंदिरा जैन ललितपुर, महेंद्र टानगा, इंजी. पवन मोदी, विजय सगरवारा आदि को प्राप्त हुआ । पूजन उपरांत कुमारी मौली जैन गाजियाबाद ने मंगलाचरण के माध्यम से अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी उसके बाद शुरू हुआ गुरु के गुणो का गुणानुवाद । नगर में विराजमान परम पूज्य त्रय मुनिराजों ने आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और गुरु उपकारों को याद करते हुए बताया कि आचार्य प्रवर ज्ञानसागर जी महान तपस्वी, बाल ब्रह्मचारी, कवि ह्रदय, संस्कृत और हिंदी में अनेक महाकाव्यों की रचना करने वाले, स्वाध्याय प्रेमी, लेखनी के धनी, करुणा और वात्सल्य की मूर्ति, शांति प्रिय, बहुत विनय शील और संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे। जीवन के अंतिम समय में उन्होंने अपने शिष्य को ही अपना गुरु बना लिया और उनसे समाधि देने के लिए प्रार्थना की। आचार्य प्रवर ज्ञानसागर जी महाराज, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के गुरु थे जिन्होंने अपने अंतिम समय में आचार्य विद्यासागर महाराज को ही अपना गुरु बना लिया और उनके चरणों में आकर बैठ गए । आपका जन्म 24 अगस्त 1897, भाद्रपद कृष्ण एकादशी को राजस्थान के सीकर जिले के राणोली गांव में हुआ था एव ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या दिनांक 1 जून 1973 को प्रातः 10:50 पर समता भाव से और अत्यंत शांत परिणामों के बीच इस नश्वर देह का त्याग कर देवलोक की ओर गमन किया कार्यक्रम का संचालन पत्रकार अशोक कुमार जैन द्वारा किया गया ।