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आचार्य श्री कनक नंदी जी महाराज सानिध्य में श्रुत पंचमी पर्व मनाया गया

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सागवाड़ा(विश्व परिवार) | योगेंद्र गिरी अतिशय क्षेत्र सागवाड़ा पर आचार्य कनकनदी गुरुदेव के सानिध्य मे श्रुत पंचमी पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया प्रातः 6:00 मुनिसुवृत भगवान का अभिषेक किया गया तथा श्रुतस्कंध विधान किया गया पुनर्वास कॉलोनी में भी चिंतनमती माताजी के सानिध्य में भगवान का अभिषेक तथा श्रुत स्कंध विधान किया गया ।

आचार्य कनकनदी गुरुदेव ने बताया सभी साधुओं को श्रावक से कहकर यह पर्व मनाना चाहिए हमारे प्राचीन महान आचार्य धरसेन ऋषिराज ने आज के दिन सबसे बडे ग्रंथराज षटखंडागम की रचना अपने दोनों विद्वान शिष्यों के द्वारा कऱवाकर इस ग्रंथ की रचना पूर्ण होने पर सभी श्रावकों से कह कर इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व गुजरात के अकलेश्वर गांव में जिनवाणी को रथ में विराजमान करके रथ यात्रा के साथ पूरे नगर में भ्रमण करके मनाया गया उसमें सभी साधुओं ने भी भाग लिया अतः आचार्य श्री इस पर्व को बड़े उत्साह से मनाते हैं।

जब धरसेन आचार्य को अनुभव हुआ कि मेरी समाधि निकट आने वाली है सभी लोगों को याद कम रहने लगा है तो उन्होंने चिंता की कि मेरे बाद जैन धर्म लुप्त हो जाएगा उनसे पहले आचार्य एक दूसरे को पढाते थे वह पूर्ण रूप से स्मरण में रहता था परंतु अब स्मरण कम रहने लगा अतः उन्होंने दूरदर्शिता से अपने एक शिष्य को दक्षिण भारत भेज कर वहां से भूतबली, पुष्पदंत आचार्य को बुला करके उनकी परीक्षा की एक आचार्य को एक अक्षर कम करके साधना करने को कहा एक को एक अक्षर अधिक करके साधना करने को कहां दोनों आचार्य ने गुरु आज्ञा के अनुसार साधना की एक अक्षर कम साधना करने वाले आचार्य को कानि देवी प्रकट हुई एक अक्षर अधिक साधना करने वालों को दांत बाहर वाली अधिक दांत वाली देवी प्रकट हुई दोनों आचार्य ने अपनी- प्रज्ञा से मंत्र में सुधार करके फिर से आराधना की जिससे उन्हें सुंदर देवियों के दर्शन हुए यह बात उन्होंने अपने आचार्य से बता दी जिससे आचार्य धरसेन स्वामी को ज्ञात हो गया कि यह ग्रंथ लेखन में दक्ष है अनावश्यक कोई भी बात आगम के विरुद्ध बात नहीं जोड़ेंगे तथा कम भी नहीं करेंगे आगम में वर्णित जैसा है वैसा ही लिखेंगे दोनों आचार्य को ग्रंथ लेखन के लिए प्रेरित किया आज के दिन ग्रंथ का लेखन पूर्ण हुआ था इसकी खुशी में यह श्रुत पंचमी पर्व उत्साह से मनाया जाता है इस अवसर पर ग्रंथ विमोचन हुआ तथा श्रुत स्कंध विधान अशोक कुमार कोठारी अंजना देवी परिवार के द्वारा किया गया

 

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