रायपुर (विश्व परिवार)। आदि कवि वाल्मीकि जयंती पर संस्कार भारती जिला इकाई रायपुर द्वारा संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का कार्यक्रम स्वदेशी भवन, मधु पिल्ले चौक, शांति नगर रायपुर में शाम 4 बजे से रखा गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार अमरनाथ त्यागी जी रहे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कार भारती जिला इकाई रायपुर के अध्यक्ष डॉ.पुरुषोत्तम चंद्राकर ने किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध ध्रुपद गायन चंद्रा कुशवाहा पखावज पर त्रिलोचन सोना जी एवं तानपुरा में रूद्रेश साहू के द्वारा राम जी के यशोगान की प्रस्तुति ने मन मोह लिया। आदि कवि वाल्मीकि जी के जीवन चित्रण पर अतिथि वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार अमरनाथ त्यागी ने कहा कि ईश्वर के प्राकट्य रूप का दर्शन कवि की कृतियों में साक्षात विग्रह रूप ही है महान ऋषि आदि कवि महात्मा वाल्मीकि जी के रामचरितमानस संस्कृत शब्दावली में उद्गृत रचना एवं ईश्वर का साक्षात्कार करता है इसी चेतन प्रेरणा को सनातन धर्म संस्कार एवं संस्कृति के रूप में स्वीकार करते हैं अपने धर्म की विजय जय करते हैं। त्यागी जी ने आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जी एवं मां सीता, प्रभु श्री रामचंद्र जी, एवं लक्ष्मण जी के चरित्र वर्णन किया इससे श्रद्धा भाव जनमानस में निश्चित रूप से जागृत होगा। कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर ने संस्कार भारती के कार्य शैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रंग मंच और ललित कला के लिए समर्पित संस्था संस्कार भारती के द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है जिसमें आदि कवि वाल्मीकि जयंती पर यह संगोष्ठी रखा गया है संस्कार भारती के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि कला और कलाकारों के लिए समर्पित संस्था संस्कार भारती में आप सब सहभागी बनिए। कार्यक्रम में संतोष चंद्राकर गीतकार ने अपनी रचना का पतन किया। साहित्यकार लोकनाथ साहू ललकार जी ने कविता पाठ का पठन किया।
कार्यक्रम की संपूर्ण तैयारी संस्कार भारती रायपुर के महामंत्री श्रीमती वृंदा तांबे, कार्यकारी अध्यक्ष शैल दुलारी सार्वा, सह महामंत्री श्रीमती पुष्पा पटेल, श्रीमती सूर्यकांता कश्यप रंगोली विद्या प्रमुख,द्वारा बहुत ही आकर्षक रंगोली किया गया। विशेष रूप से श्रीमती रजनी गर्ग प्रांत मंत्री, भोजराज धनगर चित्रकला विद्या प्रमुख, यश नारा नाट्य विधा प्रमुख, बालकृष्ण कश्यप, वंदना मुखी रही है। कार्यक्रम का मंच संचालन श्रीमती शैल दुलारी सार्वा ने किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती वृंदा तांबे ने किया।
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