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उज्जैन में राहुल गांधी की यात्रा का नहीं दिखा असर, कार्यकर्ताओं में नजर आई उत्साह की कमी

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  • मालवा की चार महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों से गुजरी भारत जोड़ो न्याय यात्रा
  • यात्रा उज्जैन में नहीं दिखा असर
  • कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं आया नजर

उज्जैन (विश्व परिवार)। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मध्य प्रदेश का सफर पूरा कर रतलाम के रास्ते राजस्थान की ओर रवाना हो गई। राहुल गांधी ने मालवा की चार महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों को भी यात्रा रूट में शामिल किया। इनमें शाजापुर-देवास, उज्जैन-आलोट, धार और रतलाम-झाबुआ शामिल हैं।

राहुल साल 2022 के अंत में भी मालवा के कुछ क्षेत्र से भारत जोड़ो यात्रा लेकर गुजरे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव-2023 में इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा। अब एक बार फिर राहुल लोकसभा चुनाव को दृष्टि में रखते हुए चिह्नित लोकसभा क्षेत्रों से गुजरे हैं, मगर इन सभी जगहों पर कांग्रेस के लिए समीकरण टेढ़े ही हैं। खास बात यह भी है कि राहुल अपने भाषणों में पुरानी बातों, मुद्दों को ही दोहराते रहे हैं। इससे पार्टी को कितना फायदा होगा, यह निकट भविष्य में पता लगेगा।

राहुल गांधी ने मंगलवार को शाजापुर, उज्जैन में सभाएं की थी। यहां जातीय जनगणना, कर्ज माफी, बेरोजगारी, जैसे मुद्दों पर बातें की। अगर राहुल के पिछले दो साल के भाषणों को सुना जाए तो अधिकांश बातें दोहराई गई हैं। कोई प्रभावी और ठोस अथवा नए मुद्दे पर राहुल बहुत ज्यादा नहीं बोल पाए। खास बात यह भी है कि कांग्रेस के ही क्षेत्रीय बड़े नेता उनकी यात्रा को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं दिखाई दिए। क्षेत्रीय नेताओं ने उपस्थिति जरूर दर्ज कराई, मगर 2022 की यात्रा की तैयारियों जैसी बात किसी भी क्षेत्र में दिखाई नहीं दी। विभिन्न शहरों और अंचल में होर्डिंग, बैनरों की संख्या सीमित थी।

मालवा के इन स्थानों से गुजरे राहुल, ये हैं समीकरण

शाजापुर-देवास

शाजापुर-देवास लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। यहां से वर्तमान सांसद महेंद्र सोलंकी को ही टिकट दिया गया है। 2009 को छोड़ दें तो यह सीट सालों से भाजपा का गढ़ रही है। 2009 में यहां कांग्रेस से सज्जन सिंह वर्मा ने चुनाव जीता था। कांग्रेस 2009 जैसी आस यहां लगाए हुए है।

उज्जैन-आलोट

उज्जैन आलोट सीट को भाजपा ने होल्ड पर रखा है। यहां भी कांग्रेस फिलहाल खोया जनाधार ढूंढ रही है। 2009 को छोड़ दें तो यहां भी भाजपा लंबे समय से काबिज है। 2009 में यहां कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू ने चुनाव जीता था। 2018 के विधानसभा चुनाव और 2022 में हुए महापौर के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर था, इसलिए यहां भी कांग्रेस को वापसी की उम्मीद है।

धार

धार सीट पर भाजपा भी बहुत सोच-समझकर प्रत्याशी तय करने के मूड में है। इसलिए फिलहाल यहां नाम तय नहीं किया गया। यहां कांग्रेस की स्थिति अन्य सीटों के मुकाबले ठीक है। इसलिए राहुल ने जिले को अपनी यात्रा में जोड़ा है।

रतलाम-झाबुआ

आदिवासी बहुल इस सीट पर कांग्रेस की नजरें टिकी हुई हैं। भाजपा ने यहां प्रत्याशी घोषित कर दिया है। 2009 और फिर 2015 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में यहां कांग्रेस को जीत मिली थी। कांग्रेस इस सीट पर चुनौती पेश कर सकती है। इसलिए राहुल की यात्रा में इसे शामिल किया गया।

बदनावर की बैठक में नहीं पहुंचे सभी विधायक

उज्जैन के बाद बुधवार को राहुल गांधी की यात्रा धार जिले के बदनावर पहुंची थी। यहां कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी सभा में राहुल के साथ शामिल हुए। यहां मध्य प्रदेश के सभी 66 कांग्रेसी विधायकों की बैठक रखी गई थी। मगर विधायकों का कोरम भी पूरा नहीं हो पाया। इसे लेकर भी सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं।

विधानसभा चुनाव में यह बनी थी स्थिति

राहुल गांधी दिसंबर 2022 में भी उज्जैन, आगर से यात्रा निकाली थी। मगर इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आया। रूट में शामिल उज्जैन उत्तर, घट्टिया, आगर जैसी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।

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