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एक गांव ऐसा भी जहाँ मतदान करने पर नक्सली काट देते थे उँगलियाँ, पिछले 25 सालों से चुनाव में नहीं डाले जाते वोट…क्या इस बार कर पाएंगे vote जानें

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बस्तर(विश्व परिवार) छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार ने मतदान को सफल बनाने के लिए कड़ी तैयारी की है। नक्सली हमलों के बगैर मतदान को सुरक्षित बनाने के लिए इस बार सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की जा रही है, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में। इस कड़ी वहां के एक गांव में 25 साल से लोगों ने वोट नहीं डाला है। यह गांव नक्सली नेता और सीसी मेंबर हिडमा के पैतृक गांव के रूप में जाना जाता है।

नक्सलियों के डर से बस्तर के पूवर्ती गांव में पिछले 25 सालों से चुनाव में वोट नहीं डाले गए. इसकी वजह है नक्सलियों का फरमान, जिसमें कहा जाता था कि कोई भी ग्रामीण वोट डालेगा तो उसकी उंगलियां काट दी जाएंगी. न चाहते हुए भी गांव वाले इस फरमान को मानते थे और वोट डालने नहीं जाते थे |

इस बार भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच होगा मतदान

अब इस गांव में सिक्योरिटी फोर्स का कब्जे है. पूरे गांव में सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं. एसटीएफ ने यहां अपना हेडक्वॉर्टर भी बना लिया है. लोकसभा चुनाव में बस्तर जिले में 80 हजार जवानों को तैनात किया जाएगा. इनमें पैरामिलिट्री फोर्स भी चुनाव में मोर्चा संभालेगी. यही जवान बस्तर के पूवर्ती गांव में मोर्चा संभालेंग |

गांव से 10 किलोमीटर दूर बनाया गया पोलिंग बूथ
नक्सली किसी भी तरह मतदान प्रभावित न कर सकें इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए गांव के से 10 किलोमीटर दूर बूथ बनाया जा रहा है. पूवर्ती गांव के मतदाताओं को दस किमी दूर सिलगेर वोटिंग करने जाना होगा. आस पास के कुछ गांव के लोग भी यहीं वोटिंग करने जाएंगे. अभी गांव में कुल वोटरों की संख्या 647 है. जिसमें से 353 पुरुष और 294 महिलाएं हैं. बता दें छत्तीसगढ़ में ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां लोग नक्सलियों के डर से वोटिंग करने नहीं निकलते हैं |

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