Home सुकमा ऐसा शिव मंदिर जहां जान हथेली पर रखकर दर्शन करने पहुंचते हैं...

ऐसा शिव मंदिर जहां जान हथेली पर रखकर दर्शन करने पहुंचते हैं भक्त, जानिए इनसे जुड़ी मान्‍याताएं

64
0

सुकमा(विश्व परिवार)- जान जोखिम में डालकर शबरी नदी के सात धार को पार कर भगवान शिव के दर्शन के करने श्रद्धालु पहुंचने लगे। सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। इधर, अव्यवस्थाओं के बीच लकड़ी के पुल पर चलकर भक्तजनों ने महादेव के दर्शन किए। इस मंदिर से कई मान्यता जुड़ी हुई है।

शुक्रवार सुबह से शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। जिला मुख्यालय से करीब 7 किमी दूर तेलावर्ती गांव है जो शबरी नदी के किनारे बसा हुआ है। गांव के किनारे नदी सात धार में विभाजित है। और नदी के बीचों बीच मे शिवलिंग की स्थापना की गई है। उस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु करीब 4 किमी पैदल चलकर और नदी के सात धार पार कर पहुंचते हैं।

शबरी नदी को पार करने के लिए ग्रामीणों के द्वारा बनाई गई लकड़ियों के पुल का सहारा लेते हैं। और कहीं कहीं जगहों पर लोग फिसल को पानी में गिर जाते हैं, उसके बाद फिर से बाहर निकल कर शिवलिंग के दर्शन के लिए चल पड़ते हैं। यहां हर साल सुकमा के अलावा आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

मंदिर को लेकर है कई मान्यता

यहां मंदिर में इतनी भीड़ रहती है कि दिनभर भक्तों की लाइन लगी रहती है। यहां पर मिट्टी के टीले पर शिवलिंग निकला हुआ है। मान्यता है कि यहां पर सैकड़ों साल पहले दक्षिण भारत से दो साधु यहां से गुजर रहे थे। उन्होंने यहां पर काफी दिनों तक तपस्या की थी उसके बाद यहां पर शिवलिंग की स्थापना की गई थी। इस शिवलिंग को लेकर और भी कई मान्यता है। लेकिन यह हकीकत है कि बारिश के दिनों में शबरी उफान पर रहती है। आलम यह रहता कि शबरी नदी का पानी जिला मुख्यालय तक पहुंच जाता है। लेकिन नदी के बीचोंबीच होने के बाद भी शिवलिंग पर पानी नहीं आता।

यह भी मान्यता है

यहां के लोग यह भी बताते हुए कि सुकमा के राजा रंगाराम अपनी पत्‍नी व बच्चे के साथ शबरी नदी से नाव पर सवार होकर गुजर रहे थे। तभी यहां पर आवाज आई कि कोई एक यहां उतरेगा तभी यहां से नाव आगे बढ़ेगी। राजा और पत्‍नी आपस में बातचीत कर रहे थे तभी उनके पुत्र ने नदी में छलांग लगा दी, उसके बाद नाव आगे बढ़ने लगी। तभी एक आवाज आई कि आज से तुम यहां पर अपना राज्य स्थापित कर सकते हो। उसके बाद यहां पर पूजा-अर्चना शुरू हो गई।
जागेश्वर भक्त ने कहा, में 1999 से यहां लगातार आ रहा हु, काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद यहां पहुँचने होता है। लेकिन इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है जो यहाँ खींच लाती है।
राजेश नारा भक्त व समिति के सदस्य बताते हैं कि रेत के टीले से महादेव की मूर्ति बनी हुई है। जहां हर साल शबरी नदी उफान पर रहती है और बाढ़ के हालात बन जाते हैं, उसके बावजूद नदी के बीचोबीच स्थित ये शिवलिंग पानी में नहीं डूबता। यहां समिति द्वारा लकड़ी डालकर भक्‍तों के लिए सुगम रास्ता बनाने की कोशिश की जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here