Home रायपुर किडनी के गंभीर रोगों पर अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता

किडनी के गंभीर रोगों पर अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता

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  • प्रत्येक 10वें व्यक्ति को किडनी की बीमारी, बदलती दिनचर्या और जलवायु परिवर्तन भी प्रमुख कारण
  • एम्स में सीकेडी पर प्रो. विवेकानंद झा का व्याख्यान आयोजित

रायपुर(विश्व परिवार)| अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में किडनी के गंभीर रोगों (सीकेडी) पर आयोजित व्याख्यान में प्रख्यात नेफ्रोलॉजिस्ट और प्रदेश सरकार के विशेषज्ञ प्रो. विवेकानंद झा ने कहा है कि प्रदेश में सीकेडी के विषय में अभी और शोध एवं अनुसंधान की जरूरत है। साथ ही बढ़ते रोगियों की संख्या को देखते हुए चिकित्सकों और तकनीकी कर्मचारियों को बेहतर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाना चाहिए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में प्रो. झा ने कहा कि विश्व में प्रत्येक 10वां व्यक्ति किडनी रोगों से पीड़ित है। इसमें से कई किडनी रोगों के कारणों का अभी भी पता नहीं चला है। ऐसे में किडनी रोग तीसरी सबसे घातक बीमारी बन चुकी है। उन्होंने किडनी रोगों पर विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से निरंतर शोध करने पर जोर दिया।

प्रो. झा का कहना था कि किडनी रोग की प्रमुख वजह बदलती दिनचर्या, जलवायु परिवर्तन, हीट स्ट्रेस, पेस्टीसाइड का बढ़ता प्रयोग, पैन किलर का गैर अनुपातिक प्रयोग, पेयजल में भारी धातुओं की बढ़ती अधिकता और जेनेटिक्स में बदलाव प्रमुख हैं। उन्होंने पेरिटोनियल डायलिसिस के रोगियों को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने पर भी जोर दिया। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने प्रो. झा को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

विभागाध्यक्ष डॉ. विनय राठौर का कहना था कि विभिन्न शोध परियोजनाओं के माध्यम से एम्स सुपेबेड़ा और आसपास के क्षेत्रों के किडनी रोगियों को उपचार की क्लिनिकल गाइडलाइंस बनाने पर कार्य कर रहा है। विभिन्न शोध परियोजनाओं से बीमारियों के नए कारणों के बारे में भी उपयोगी जानकारी मिल रही है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार की चुनौती से आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्र भी प्रभावित हैं। कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक प्रो. रेनू राजगुरु भी उपस्थित थी।

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