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कुछ लोग छोटा काम करके छप जाते हैं बड़े बड़े काम करने वाले छिप जाता है – मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज

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थूवोनजी कमेटी अशोक नगर समाज पहुंची पथरिया किया चातुर्मास का निवेदन
आचार्य श्री के वचनों को साकार करने के लिए थूवोनजी में चातुर्मास चाहिए – विजय धुर्रा

अशोक नगर(विश्व परिवार) | जो अच्छे समय पर साथ रहता है उसका साथ हमेशा देना चाहिए अगर आप विपत्ति के समय दूर हट जाते है तो ऐसे व्यक्ति का संपूर्ण पुण्य क्षय हो जाता है और उसका पुण्य ऐसा क्षय होता है कि जब उस पर संकट आते है तो उसे आंसू पोंछने वाला भी नहीं मिलता, किसी को दया नही आती इसलिए उपकारी का उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए कुछ लोग छोटा काम करके भी छप जाते हैं लेकिन कुछ लोग बड़ा काम करके भी छिप जाते है, कारण- हमने कभी किसी की प्रशंसा नहीं की, किसी ने बहुत अच्छे काम किये लेकिन उसके लिए हम दो शब्द नहीं कह पाए बल्कि ईर्ष्या और की अपने से अधिक गुणवान व्यक्ति को देखकर हमेशा प्रमोद भाव आना चाहिए उक्त आश्य केउद्गार मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने जिज्ञासा समाधान सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए
इसके पहले दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल महामंत्री विपिन सिंघई मंत्री विनोद मोदी मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा के नेतृत्व में अशोक नगर जैन समाज व थूवोनजी कमेटी के वृहद प्रतिनिधि मंडल ने पथरिया जिला दमोह में विराजमान मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज को श्री फल भेंट कर थूवोनजी में चातुर्मास करने का निवेदन करते अध्यक्ष अशोक टिंगू महामंत्री विपिन सिंघई ने कहाकि वर्षो
से पूरा अंचल पलक पांवड़े बिछाकर गुरु देव आपके आगमन की प्रतिक्षा कर रहा हम सब आपके आगमन की आश में ही काम कर रहे हैं और उम्मीद लगाए हैं कि आपके चरण थूवोनजी में सीध्र पड़ेंगे
इस दौरान अशोक नगर जैन समाज के मंत्री विजय जैन धुर्रा ने कहा कि हम सब वर्षो से आचार्य श्री के पास जा रहे हैं आचार्य श्री ने वारह वर्ष पूर्व डोंगरगढ़ में कहा था कि एक चातुर्मास मुनि श्री सुधासागरजी का थूवोनजी में हो जाये तो थूवोनजी पचास साल आगे निकल जायेगा आचार्य भगवंत के वचनों को साकार करने के लिए अशोक नगर जैन समाज थूवोनजी कमेटी निर्तर काम कर रही है सर्दी गर्मी धूप-छांव कभी भी पीछे नहीं रही अव हमारी भावना भी है और अधिकतर भी आप आचार्य भगवंत का सपना साकार करेंगे और थूवोनजी पधारेंगे इस दौरान थूवोनजी कमेटी के मंत्री राजेन्द्र हलवाई आडिटर राजीवचन्देरी के संरक्षण शैलेन्द्र दददा मनीष वरखेड़ा विमल जैन मनीष सिघई सुनील घेलू जैन मिलन अध्यक्ष नीलू मामा निर्मल मिर्ची नितिन वज पवन करईया नीरज वेली अविनाश धुर्रा रानू मामा अमित वरोदिया जीवन मामा अवधेश जैन सुधीर जैन अन्य सभी ने भक्तों श्री फल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया

पाप करने के पहले देखले कि कल जब फल मिलेगा तो सहन कर पाओगे
इस दौरान मुनि पुगंव ने कहा कि कर्म बंधते समय जो अनुभाग शक्ति डलती है, वह शक्ति बहुत पावरफुल होती है इसलिए हम कहते हैं कि कोई भी पाप करो, कम से कम ये देख लो- कल के दिन यह कर्म उदय में आएगा तो क्या वह कर्म गन्धोदक से दूर हो पायेगा कर्म करते समय हमें ये भान ही नहीं रहता कि हम कर क्या रहे हैं और इसका फल कितना ख़तरनाक मिलेगा उन्होंने कहा कि डिप्रेशन एक ऐसी चीज है जो व्यर्थ की बीमारी हैव्यक्ति इतनी महत्वाकांक्षाएं पाल लेता है, जितनी उसकी शक्ति नहीं है। पड़ोसी कितना खा रहा है यह देखना बंद करें और तुम्हें कितना पच रहा है यह देखना चालू करें। सबसे बड़ा सूत्र- संतोष मैं जो हूँ, जहाँ हूँ, जैसा हूँ खुश हूँ तो डिप्रेशन आ ही नहीं सकता।

पाप के उदय में पाप करना छोड़ दें
उन्होंने कहा कि पाप का उदय आया है तो पाप करना छोड़ दो क्योंकि अग्नि यदि लगी है तो ईंधन डालना छोड़ दो, अग्नि अपने आप बुझ जाएगी चिंतामणि रत्न, पारस रत्न साहित्य में तो है लेकिन वस्तु तो हम ने देखी नहीं। चिंतामणि का अर्थ ये होता है कि जो मन मे चिंतन किया जाए वह प्राप्त हो जाता है, कल्पवृक्ष का वर्णन जरूर आगम में मिलता है माँ बाप का यदि यह भाव है कि मैं और मेरे बच्चे में से कोई एक धर्म कर पाएगा तो वे यदि बच्चों को करा देते हैं तो वे ज्यादा पुण्यात्मा है। घर में सास-बहू है, कोई एक जा पाएगा तो सासु को चूल्हे पर बैठना चाहिए और बहू को प्रवचन में बैठना चाहिए क्योंकि जिनके बिगड़ने के दिन हैं उनको पहले आगे करो।

संक्लेश से निरन्तर आयु का क्षय होता है
उन्होंने कहा कि संक्लेश करने से आयु कम होती चली जाती है पूज्य अकलंक स्वामी ने राजवर्ती ग्रंथ में संक्लेश से निरन्तर आयु का अपघात कहा। जितनी बार हम संक्लेश करते हैं, क्रोध करते हैं, टेंशन करते हैं इसमें आयु कर्म का घात होता है व्यक्ति को इस वात की चिंता ही नहीं है कि वह क्या कर रहा है विना वजे ही संक्लेश में डूबा रहता है और पल पल अपने जीवन को नष्ट करता रहता है ये मनुष्य पर्याय अनमोल है इसे कांच के कंचों को हीरा समझ कर प्रति क्षण खो रहे हैं समय हाथ से निकल जायेगा और कुछ भी कर लेना लोटकर आने वाला नहीं है इसलिए समय रहते अपना काम वना ले इसी भलाई है |

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