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कुसुम बाई चौधरी ने उत्कृष्ट साधना करते हुए अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर में नश्वर देह का किया त्याग

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आठ दिनों से चारों प्रकार के आहार का त्याग कर रखा था

चतुर्विध संघ का मिला मंगल सानिध्य

नवापारा राजिम (विश्व परिवार)। नगर के दिगंबर जैन समाज के प्रतिष्ठित चौधरी ज्ञानचंद कचराबाई के परिवार की बड़ी बहू सुश्राविका कुसुम बाई चौधरी (73) धर्मपत्नी चौधरी निर्मल जैन ने अपने जीवन काल में दो प्रतिमा का व्रत धारण किया था। अत्यंत ही धार्मिक प्रवृत्ति, सहज, सरल स्वभाव की कुसुम बाई ने व्रतों का निष्ठा पूर्वक पालन करते हुए धर्म की राह में चलते हुए पिछले आठ दिनों से चारों प्रकार के आहार का त्याग करते हुए बड़े बाबा के पाद मूल में चतुर्विध संघ के मंगल सानिध्य में मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर में 12 मार्च 2024 को सुबह 8.45 बजे अपने नश्वर शरीर का त्याग कर अपना जीवन सफल कर लिया। विभिन्न धार्मिक आयोजन में बढ़ चढ़कर भाग लेना इनके दैनिक क्रिया में शामिल था। इस दौरान उनके सभी परिजन वहां मौजूद थे।

कब कब लिया प्रतिमा का व्रत

पहली प्रतिमा संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर से चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में सन 2013 में ग्रहण की थी। दूसरी प्रतिमा चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज से 2016 में वैशालीनगर भिलाई चातुर्मास के दौरान ली थी।

सास ने भी किया था समाधिमारण
कुसुम बाई की सास कचरा बाई भी अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की थी। गृहस्थ में रहते हुए भी त्यागियों सा जीवन जिया। उन्होंने सात प्रतिमा के व्रत धारण कर समाधि मरण किया था। उनकी सल्लेखना कराने के लिए बुंदेलखंड के प्रथम आचार्य गणाचार्य विराग सागर महाराज ससंघ राजिम पधारे थे। जो उस समय भिलाई में विराजित थे। विराग सागर ने उन्हें 27 जनवरी 2004 को क्षुल्लिका दीक्षा दी। तीन दिन तक आहार लेने के बाद आचार्य श्री से व्रत बढ़ाने की याचना की जिसे स्वीकार कर उन्हे आर्यिका दीक्षा प्रदान कर चारों प्रकार के आहार का त्याग कराया। समता पूर्वक नियमों का पालन करते हुए 4 फरवरी 2004 को सायं 4 बजे नश्वर शरीर का त्याग कर दिया। अगले दिन भव्य डोला निकालकर उत्सव मनाते हुए अंतिम संस्कार राजिम रोड स्थित नसिया जी में किया गया।

कुंडलपुर में होना है समय सागर जी का आचार्य पदारोहण

संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में शनिवार 17 फरवरी को देर रात 2.35 बजे अंतिम श्वांस ली। अपना आचार्य पद अपने प्रथम शिष्य समय सागर को दिया है। समय सागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण इसी अतिशय क्षेत्र में आगामी माह में संभावित है। इसी परिप्रेक्ष्य में विद्यासागर जी से दीक्षित सभी शिष्यों का कुंडलपुर की ओर विहार चल रहा है।

कई संघों के साधुओं का मिला मंगल सानिध्य
कुसुम बाई ने बगैर शिथिलाचार के बड़ी दृढ़ता से अपने व्रतों का पालन किया इसलिए उन्हें बड़े बाबा का दरबार और संतों का सानिध्य मिला। जबलपुर हाईवे में पुनीत मति माताजी, विशिष्ट श्री माताजी ससंघ का, कुंडलपुर में विशद सागर महाराज, विराट सागर जी महाराज ससंघ (5 पिछी), सन्मति सागर जी महाराज की शिष्या सृष्टि भूषण माताजी, विश्वयश श्री माताजी।
प्रमुख रूप से विशद सागर जी महाराज, ब्रह्मचारी संजीव भैया, अरुण भैया ने क्षपक की समता पूर्वक समाधि कराई।

छोड़ गई भरा पूरा परिवार
तीन भाइयों चौधरी निर्मल कुमार – कुसुम बाई, अभय कुमार – कामिनी चौधरी, राकेश कुमार – सुषमा चौधरी, पुत्र-पुत्रवधू, अजय – प्रीति, सौरभ – अनुभा, समीर – मनीषा सहित दो पोते, चार पोतियों से भरा पूरा परिवार छोड़ गई।

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