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कृषि मंत्री श्री साहू ने कृषि विश्वविद्यालय में धान प्रजनन आधुनिकीकरण कार्यक्रम का लोकार्पण किया

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  •  विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं एवं गतिविधियों का अवलोकन किया

रायपुर (विश्व परिवार)। प्रदेश के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित विभिन्न कृषि अनुसंधान परियोजनाओं एवं गतिविधियों का जायजा लिया। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के सहयोग से संचालित धान प्रजनन आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत एक्सीलरेटेड ब्रीडिंग फेसिलिटी का लोकार्पण किया। कंसल्टेटिव ग्रुप ऑफ इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च (सी.जी.आई.ए.आर.) के तकनीकी मार्गदर्शन में संचालित इस कार्यक्रम के तहत धान की नवीन किस्मों के विकास में लगने वाली 12 वर्ष की अवधि को घटाकर कर 6 वर्ष किया जा सकेगा। लोकार्पण कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तथा सी.जी.आई.ए.आर. के प्रमुख डॉ. संजय कटियार, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, कुलसचिव श्री जी.के. निर्माम सहित परियोजना के जुड़े अनेक कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे। श्री साहू ने कृषि विश्वविद्यालय परिसर में संचालित टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला का अवलोकन किया तथा वहां टिश्यू कल्चर तकनीक के माध्यम से विकसित किये जा रहे केला, गन्ना, आर्किड आदि के पौधों का अवलोकन किया। श्री साहू ने डॉ. आर.एच. रिछारिया प्रयोगशाला में संचालित अक्ती जैव विविधता संग्रहालय में संग्रहित धान की 23 हजार 250 किस्मों का अवलोकन किया। डॉ. चंदेल ने उन्हें बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान मनीला के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धान जननद्रव्य संग्रहालय है। श्री साहू ने वहां धान से प्रोटीन, शुगर सीरप तथा बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक निर्माण की प्रौद्योगिकी का भी अवलोकन किया। श्री साहू ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों की बेहतरी के लिए किए जा रहे अनुसंधान कार्यां एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम की सराहना की। श्री साहू ने राज्य कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान में संचालित जैविक खेती मिशन तथा कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में शामिल कृषकों तथा कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा कृषि वैज्ञानिक शामिल थे। 

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