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केजरीवाल की गिरफ्तारी : कौन सही, कौन गलत; जनता के दरबार में ही होगा फैसला

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दिल्ली(विश्व परिवार)जिस प्रकार से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बार-बार ईडी के सम्मन जा रहे थे तथा वह पेश नहीं हो रहे थे उससे यह तो दिखाई देता ही था कि केजरीवाल को अंततः गिरफ्तार कर लिया जाएगा. जब परसों दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि अदालत ईडी की गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगाएगी तब दो ही बातें सामने थी. एक तो यह कि केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तथा दूसरा के ईडी उन्हें गिरफ्तार कर लेगी. केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन वहां जब रात को सुनवाई नहीं हुई तो यह अवश्य ही लगने लगा था के ईडी उन्हें गिरफ्तार कर लेगी |

वही हुआ भी और ईडी ने 21 मार्च की शाम उन्हें गिरफ्तार कर लिया तथा आज अदालत के सामने उन्हें पेश करके 6 दिन का रिमांड भी ले लिया. ऐसे में अब दोनों ही ओर से अपने-अपने पक्ष में दावे किए जा रहे हैं. भाजपा कह रही है कि गिरफ्तारी से यह सिद्ध हो गया है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचारी हैं जबकि आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा इस वक्त घबराई हुई है तथा ईडी का प्रयोग करके विपक्ष को कमजोर कर रही है. आप ने आरोप लगाए है कि ऐसा नहीं है कि केवल आम आदमी पार्टी ही ऐसा कह रही है बल्कि पूरा विपक्ष ही यह कह रहा है कि चुनाव के दौरान परेशान करने के लिए ही यह सब कुछ किया जा रहा है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि पहले ही आम आदमी पार्टी के 3 वरिष्ठ नेता मुनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन तथा संजय सिंह जेल में हैं तथा अब केजरीवाल के जेल चले जाने से पार्टी को नुक्सान हो सकता है तथा चुनावों से ऐन पहले पार्टी में घबराहट भी हो सकती है. . लेकिन राजनीतिक विश्लेषक यह भी मान कर चल रहे हैं कि अगर देश मे हमदर्दी की लहर चल पड़ी तो इसका आप को लाभ भी हो सकता है. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि लाभ होता है या हानि होती है लेकिन इतना अवश्य है कि दोनों पार्टियां इस मामले को किस प्रकार जनता की अदालत में ले के जाती हैं, परिणाम उस पर ही निर्भर करेगा. भाजपा इस बात को लेकर जनता की अदालत में जा रही है कि शराब घोटाले में सिसोदिया तथा संजय सिंह संलिप्त हैं तभी तो उन्हें जमानत नहीं मिल रही है. इसके विपरीत आप कह रही है कि 2 साल से अधिक समय से ईडी इस मामले को लेकर हमारे पीछे पड़ी है लेकिन एक रुपया भी ईडी हमसे बरामद नहीं कर पाई है.

विश्लेषक मानते हैं कि अब परिणाम इस बात पर ही निर्भर करेगा कि कौन अपने पक्ष को मजबूती के साथ रखेगा तथा जनता को अपनी बात समझाने में सफल रहेगा. अगर जनता की अदालत में यह सिद्ध हो गया कि भाजपा सरकारी एजेंसियों का प्रयोग कर रही है तो इसका आप को लाभ होगा. विपक्ष आज कह रहा है कि इस मामले को चलते हुए तो 2 साल हो गए हैं, तो क्यों अभी तक चार्जशीट पेश नहीं की गई है? विपक्ष यह भी कह रहा कि जब से मोदी सरकार आई है तब जितने भी केस ईडी ने बनाए हैं उनमें अब तक एक भी व्यक्ति को सजा नहीं ह है. अगर कोई भी व्यक्ति कन्विविटड नह हुआ है तो ईडी पर प्रश्न तो खड़े होंगे लेकि प्रश्न यह उठता है कि क्या विपक्ष इस बा को जनता की अदालत में मजबूती के सा ले जा सकेगा?

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