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गणनी आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी का संघ सहित धर्म नगरी ललितपुर में 23 मई को होगा भव्य मंगल प्रवेश

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ललितपुर(विश्व परिवार)  | रत्नों मूंगे की नगरी मुंगावली मध्य प्रदेश की कोहिनूर 60 वर्षीय गणनीआर्यिका परम पूज्य 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी एवम् आर्यिका श्री विश्वयश मति जी का प्रथम बार बुंदेलखंड के सिद्ध क्षेत्र के लिए प्रभावना पूर्वक बिहार चल रहा है। ललितपुर मंदिर पंचायत के डा अक्षय, आकाश जैन अनुसार आर्यिका संघ का ललितपुर में प्रथम बार प्रवेश 23 मई को होंगा आपकी ओजस्वी वाणी उपदेश से प्रभावित होकर अनेक नगरों की समाज क्षेत्र द्वारा आपको नगर आगमन हेतु श्रीफल भेंट कर निवेदन किया जा रहा इसी क्रम में ललितपुर समाज द्वारा निवेदन किया गया ।वर्ष 2023 मुरादाबाद में चातुर्मास कर बुंदेलखंड यात्रा चल रही हैं वर्ष 2024 का वर्षायोग टीकमगढ़ मध्यप्रदेश में होगा
एक परिचय
डा सुनील संचय राजेश पंचोंलिया अनुसार मुंगावली मध्यप्रदेश की श्रीमती पदमा श्री कपूर चंद जी की कोख से 23 मार्च 1964 को जन्मी सुलोचना दीदी ने सिद्ध क्षेत्र श्री सोनागिर जी में आचार्य श्री शांति सागर जी छाणी परंपरा के आचार्य श्री सुमति सागर जी और विद्या भूषण आचार्य श्री सम्मति सागर जी से 26 मार्च 1994 को आर्यिका दीक्षा ली ।आपका आर्यिका श्री सृष्टि भूषण जी नामकरण हुआ 30 वर्ष के संयमी जीवन में 10 से अधिक राज्यो मे भ्रमण कर धर्म की प्रभावना की। आपकी मंगल प्रेरणा से महाव्रती एवम अणु व्रती त्यागियो के लिए सृष्टि मंगलम संस्था के माध्यम से सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर जी,सोनागिर जी अतिशय क्षेत्र महावीर जी ,महानगर देहली में शुद्ध आहार की व्यवस्था चल रही हैं आदि सृष्टि संस्था के माध्यम से हजारों केंसर मरीजों तथा अन्य बीमारियों के इलाज कराए गए हैं। 30 वर्ष के संयमी जीवन में 25000 से अधिक किलोमीटर का विहार किया है 29 सितंबर 2019 को विश्व प्रसिद्ध संस्था ने मानव रत्न अलंकरण से देहली में विभूषित किया। आपके प्रवचन प्रतिदिन पारस पर शाम 5 बजे एवम जिनवाणी चेनल पर शाम 5.40 को तथा सृष्टि मंगलम यू ट्यूब पर प्रसारित होते हैं संघस्थ देहली की श्रीमती सरिता राकेश जी के यहां 1986 में जन्मी बाल ब्रह्मचारिणी नेहा दीदी विगत 16 वर्षो से माताजी की परछाई बनी हैं। विजया दशमी 5 अक्टूबर 2022 को अतिशय क्षेत्र महावीर जी में प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांति सागर जी की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाशीश वात्सल्य वारिधी 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से आर्यिका दीक्षा हुई आपका नाम 105 आर्यिका श्री विश्वयश मति किया गया।

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