जयपुर(विश्व परिवार)– प. पू. भारत गौरव, श्रमणी गणिनी आर्यिका 105 गुरूमाँ विज्ञाश्री माताजी ससंघ सान्निध्य में जनकपुरी, इमली फाटक जैन मंदिर में समाधिस्थ क्षुल्लिका 105 श्री अमृतश्री माताजी की विनयांजलि सभा का आयोजन हुआ। सकल समाज सहित परिवार के सदस्यों ने भी माताजी के चरणों में विनयांजलि समर्पित की।
तत्पश्चात् पूज्य माताजी ने जैन समाज को उद्बोधन देते हुए कहा कि – जो भव्य जीव एक बार समता पूर्वक समाधिमरण को प्राप्त कर लेता है वह कम से कम 2-3 भव या अधिक से अधिक 7-8 भव में मोक्ष प्राप्त कर लेता है। सल्लेखना आत्मघात नहीं, आत्मानन्द का उत्सव है। पुण्यशाली जीव ही उत्कृष्ट समाधि को प्राप्त कर पाता है। सौ बार दीक्षा लेना, देना या देखने के बराबर पुण्य एक बार सल्लेखना देखने का है।
गुरूभक्त कमल कविता गोधा किशनगढ़ सपरिवार ने गुरुमां का मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। संदीप जैन जोधपुर ने गुरुमां के दर्शनों का लाभ प्राप्त कर – मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312