जो बाहर और भीतर एक से रहते है उन्हीं को भगवान गले से लगाते हैं
रायपुर (विश्व परिवार)। आज की दुनिया में बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और रहते हैं लोग, लेकिन श्रीकृष्ण तो जो बाहर और भीतर एक से रहते है उन्हीं को गले से लगाते हैं। गोपियों का भगवान के प्रति प्रेम निश्छल था, उन्हे तो सिर्फ बांसुरी की धुन पर नाचना और श्रीकृष्ण का दर्शन चाहिए और कुछ नहीं। रास लीला भक्त और भगवान के बीच की वो लीला है जिसमें शामिल होने के लिए स्वंय महादेव गोपी बन जाते हैं,ऋषि मुनि गोपी बन जाते हैं। ब्रम्हा जी बैकुंठ में बैठकर रास लीला का आनंद ले रहे हैं। जैसे ही बंशी की धुन सुनती गोपियां अपना काम धाम छोड़कर प्रभु से मिलने पहुंच जातीं। इसलिए ग्रंथों में कृष्ण की बंशी को गोपियों के सौतन की संज्ञा दी गई है। कल कथा की विश्रांति है और कथा का समय रहेगा दोपहर 12 से 2 बजे तक।
श्याम खाटू मंदिर में श्रीमद भागवत कथा का श्रवण कराते हुए श्रद्धालुओं को कथावाचक डा. संजय सलिल ने बताया कि प्रेम की पराकाष्ठा भक्त व भगवान की देखनी है तो गोपियाों व ठाकुर जी में देखें। जो अंदर भी दिखते हैं वही बाहर भी दिखते हैं। भगवान को यही पसंद भी हैं, दिखावा नहीं। लेकिन आज लोग दिखावे के लिए जी रहे है भगवान की पूजा भी करते हैं तो केवल मांगने के लिए। कथा स्थल पर जब रास लीला का प्रसंग आया तो श्रद्धालु झूमने लगे। गोकुल में देखो, वृंदावन में देखो रे, मुरली बाजे रे, श्याम संग राधा नाचे रें…, रास रचो हे, जमुना किनारो रास रचो हे.. पायल की झंकार हो रही हे…। रास लीला कोई काम की लीला नहीं है ये काम पर विजय की लीला है। रास के माध्यम से भगवान ने कामदेव को प्राप्त किया और यही काम देव भगवान के पुत्र पदयुम बनकर आए। आज संसार में जितने शिव मंदिर है न वहां मइया गौरी साथ बैठी हुई है। लेकिन वृंदावन में एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां पर भगवान शंकर तो अंदर है लेकिन मईया गौरी बाहर खड़ी होकर उन्हें बुला रही है कि अंदर आ जाओ लेकिन भगवान शंकर आज भी गोपी बनकर वहां बैठे हुए है, ऐसे हैं गोपेश्वर महोदव।
6 महीने तक कोई घर से बाहर रहे तो पतियों को चिंता होगी की नहीं होगी, लेकिन कमाल की बात देखना हर पतियों ने ऐसा अनुभव किया कि उनकी पत्नियां तो साथ हैं। सारी गोपियों की सौतन भगवान श्रीकृष्ण की बंशी है क्योंकि प्रभु एक सांस से फूंक मारते है और बंशी एक सांस से बाहर आ जाती है, जो बाहर और भीतर एक से रहते है उन्हीं को भगवान गले से लगाते हैं। क्या हम लोग बाहर और भीतर एक से रहते है, जुबान में कुछ चल रहा है और मन में कुछ धरके बैठे हो, दिमाग में कुछ चल रहा है, जुबान से मीठी-मीठी बातें कर रहे हो और बुद्धि कह रही है भगवान करें सीढ़ी से गिर जाओ बोलो श्री राधे-राधे। जो व्यक्ति इस स्वभाव के होते है, क्या ठाकुर उनको हृदय से लगाएंगे। बंशी के जीवन में केवल कृष्ण के अलावा और कुछ भी नहीं है। गोपियां कहती है कि तुम में लाख दोष है लेकिन एक गुण है जिसके कारण हम तुम्हारे पास खीचें चली आती है, तुमसे प्रेम कोई करें लेकिन उसे निभा तुम लेते हो।
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