रायपुर(विश्व परिवार)। मंदिरों ने हमेशा से संस्कार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सेवा के काम किए हैं, वह सभी कार्य चलता रहे इसकी चिंता हो। मंदिर सबके लिए वैसे ही खुला हो जैसी कल्पना वीरसावरकर जी ने पतित पावन मंदिर के लिए की थी। हिंदू समाज में गुरुओं की महत्ता अनंत है। गुरु गद्दियों और गुरुभाइयों को भी समग्र सनातन हिंदू जीवन पद्धति को कमजोर करने वाले या सामूहिक पहचान को कमजोर करने वाले विमर्शों से दूरी बनाना चाहिए। यह बातें बूढ़ापारा स्थित आउडोर स्टेडियम में संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) समापन कार्यक्रम में संघचालक डॉ. पुर्णेंदु सक्सेना ने कहीं। डॉ. सक्सेना ने कहा कि आज भारत एक मजबूत देश के रूप में विश्व में अपना स्थान लेने के लिए अग्रसर हो रहा है। युग परिवर्तन की इस बेला में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन अवसरों का लाभ उठा पाए जो आने वाले हैं और अपने आप को उन दायित्व के लिए तैयार करें जो हमें उठाने पड़ेंगे, तभी भारत विश्व गुरु बन सकते हैं।
डॉ. सक्सेना ने कहा कि समाज में जो परिवर्तन आ रहे हैं उसका मूल कारण है कि हिंदू समाज जाग गया है। देश अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है, अंदरुनी देश विरोधी शत्रु बेनकाब हो रहे हैं। हिंदू समाज के जागने से हिंदुओं के धार्मिक संस्थान आकर्षण के केंद्र होंगे, कुटुंब परिवार में उत्सव पर्व मनाने की बातें होंगी, सभी जातियां अपने इष्ट कुल देवताओं के सम्मान में आगे आएंगी, ग्राम में समाज उत्थान, मंदिर, गुरु गद्दियां, गौशालाएं, तीर्थ सभी बढ़ेंगे। सामूहिक गतिविधियां जैसे श्रीमद भागवत, रामायण कथाएं, धार्मिक यात्राएं इन सभी से भक्ति बढ़ेंगे। यह सभी गतिविधियां समाज मे हो, पर जो गलतियां पूर्व में हुई वह अब ना हो इसलिए आज हिंदू समाज सर्वस्पर्शी एवं सर्वव्यापी बने इसका प्रयास होना चाहिए।