गौरेला(विश्व परिवार)– वर्तमान जिनशासन नायक जैनधर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2623 वां जन्मकल्याणक महोत्सव के अवसर पर शोभायात्रा ने नगर भ्रमण किया।जैनमंदिर में प्रातः विशेष पूजन अभिषेक किया गया।
ढाई हजार वर्ष से अधिक हो गये जब सिद्धार्थ त्रिसला नंदन ने कठोर तप कर केवलज्ञान प्राप्त किया और हिंसा से दग्ध जगत को अनादि काल से प्रवाहमान जिनधर्म का संदेश देकर शांति सहिष्णुता और समन्वय का पथ प्रशस्त किया। भगवान महावीर ने समझाया सभी प्राणियों की आत्मा समान है।संसार में सभी को निर्भय होकर जीने का अधिकार है। जिओ और जीने दो ही वो मंत्र है जिससे संसार में अहिंसा और शांति सह अस्तित्व की राह सुगम होगी और यही एकमात्र समाधान है,संसार से विषमता दूर होगी। भगवान महावीर का येही संदेश जिनधर्मावलंबी शोभायात्रा के माध्यम से नगर नगर डगर डगर पहुंचाते हैं।
गौरेला नगर में शोभायात्रा निकाल कर नगरभ्रमण किया। अपरान्ह में जैनमंदिर से शोभायात्रा आरंभ होकर अग्रसेन चौक होते हुये नगर के ह्रदयस्थल गांधीचौक,संजय चौक,मंगलीबाजार,रेस्टहाउस मार्ग,स्टेशन रोड होते हुये वापस जैनमंदिर में पूर्ण हुयी। शोभायात्रा में पुरूष वर्ग स्वेत परिधान और महिलाएं पीले वस्त्र धारक किये हुये थी।भगवान महावीर का गुणगान करते हुये जियो और जीने दो,शांति, अहिंसा का संदेश प्रसारित किया।