जयपुर(विश्व परिवार) | भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी ससंघ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर मालवीय नगर से . 7 जयपुर में विराजमान धर्म की महती प्रभावना कर रही है । माताजी के मुखारविंद से अभिषेक शांतिधारा सम्पन्न हुई । तत्पश्चात गुरु पूजन का कार्यक्रम भक्तों के द्वारा आयोजित किया गया ।
पूज्य माताजी ने सभी को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – हमें अगर जीवन में सफलता प्राप्त करना है तो सहनशीलता को धारण करना होगा । जैसे एक पत्थर को मूर्ति बनने के लिए शिल्पी के छैनी हथौड़े की मार खानी पड़ती है अगर वो टूट जाये तो टाइल्स बनके रह जाती है । इसीलिए यदि तुमने सहन कर लिया तो निखर जाओगे और यदि टूट गए तो बिखर जाओगे । इसलिए कभी भी किसी के व्यवहार से हम दुःखी हो तो यह विचार करना चाहिए कि यह हमारे जीवन के शिल्पी है जो हमें मूर्ति बनाने का प्रयास कर रहे हैं । इससे हमारा जीवन निखर जायेगा ।