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थाइलैंड भेजे गए थे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष, राजकीय सम्मान के साथ लौटे भारत, जानें इतिहास

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(विश्व परिवार)-भगवान बुद्ध, उनके शिष्यों अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के पवित्र अवशेष 26-दिवसीय प्रदर्शनी के हिस्से के रूप में थाईलैंड के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित किए जाने के बाद मंगलवार शाम को भारत लौटे |

दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों के पूजनीय इन अवशेषों को 22 फरवरी को ‘राज्यकीय अतिथि’ के दर्जे के अनुरूप भारतीय वायु सेना के एक विशेष विमान में ले जाया गया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अवशेष दिल्ली के पालम स्थित वायु सेना अड्डे पर लाए गए. अधिकारी ने कहा कि विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी अवशेषों के स्वदेश आने पर ‘एक समारोह में अवशेषों की आगवानी करेंगी |

थाईलैंड में प्रदर्शित करने के लिए भेजा था
भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष भारत में संरक्षित हैं. भगवान बुद्ध के अवशेष राष्ट्रीय संग्रहालय के संरक्षण में हैं जबकि उनके शिष्यों के अवशेष को थाईलैंड में प्रदर्शित करने के लिए मध्य प्रदेश द्वारा दिल्ली भेजा गया था.  अवशेषों को 23 फरवरी को बैंकॉक के सनम लुआंग मंडप में विशेष रूप से निर्मित मंडप में सार्वजनिक पूजा के लिए स्थापित किया गया था |

सरकार ने क्या कहा?
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बताया था कि यह पहली बार था जब भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों को एक साथ प्रदर्शित किया गया. कार्यक्रम के अनुसार, इन पवित्र अवशेषों को 4-8 मार्च तक हो कुम लुआंग, रॉयल रुजाप्रुक, चियांग माई में प्रदर्शित किया गया; 9-13 मार्च तक वाट महा वानाराम, उबोन रतचथानी में और 14-18 मार्च तक वाट महा थाट, औलुएक, क्राबी में प्रदर्शित किया गया|

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