जिले भर की जैन समाज के प्रतिनिधि पहुंचे परसोरिया सागर
व्यक्ति को जो कुछ भी मिला है वह सब अपने लिए उपयोग करना चाहिए- सुधासागरजी महाराज
अशोक नगर(विश्व परिवार) | व्यक्ति को जो कुछ भी मिला है वह सब अपने लिए उपयोग करना चाहिए जैनदर्शन का सूत्र है-सबसे पहले सोचो आत्महित किसमे है परहित भी वही करो जिसमे आत्महित हो। दूसरे का हित करते हुए अपना अहित करना ये गलत बात है। तुम संकटो में जी लेना लेकिन किसी का एहसान मत लेना।
हमारा यहाँ दान कितना देना है, इसका मूल्य नही है, यहाँ हमारे गजमोती भी कम है और मक्के के दाने भी अनमोल है। तुम्हारी शक्ति क्या है…? जो शक्ति को छिपाता है वह साँप के काटे के समान जीता है और जो शक्ति से ज्यादा करता है, वह बिच्छू के काटे के समान तड़फता है। साँप का कांटा सोए और बिच्छू का कांटा रोये। पड़ोसी कितनी रोटी खा रहा है हमें ये नही देखना, हमें हमारी जठराग्नि को देखकर भोजन करना है उक्त आश्य केउद्गार मुनिपुंगव श्री सुधासागरजी महाराज ने सागर के निकट परसोरिया में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
थूवोनजी में चातुर्मास की भावना से जिला से कमेटी श्री फल भेंट कर रहे हैं–विजय धुर्रा
इस दौरान दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी में चातुर्मास की भावना लेकर अशोक नगर जिले की जैन समाज ने थूवोनजी कमेटी के संयोजक में मुनिपुगंव श्रीसुधासागरजी जी महाराज ससंघ को श्री फल भेंट कर चातुर्मास का निवेदन किया निवेदन करते हुए मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि आज अशोक नगर शाढ़ौरा जैन समाज मुंगावली चन्देरी ईसागढ़ बहदपुर बग्लाचौराह समाज के प्रतिनिधियों ने थूवोनजी कमेटी के साथ श्री फल भेंट कर रहे हैं पूरे जिले से जैन समाज ये निवेदन लेकर आये है कि थूवोनजी में चातुर्मास हो इस भावना से श्री फल भेंट करने वाले में थूवोनजी कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल उपाध्यक्ष गिरीश अथाईखेडा महामंत्री विपिन सिंघई मंत्री विनोद मोदी राजेन्द्र हलवाई शिरोमणि संरक्षण सजीव श्रंगार शालू भारत शैलेन्द्र दददा अशोक नगर समाज के महामंत्री राकेश अमरोद मंत्री शैलेन्द्र श्रागर मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजयधुर्रा रविकांत कासंल मुन्नावाझल मुनेश विजयपुरा सुनील घेलू शाढ़ौरा से निर्मल जैन प्रमोद जैन मनोज चोवे मुंगावली से संजयसिंघई त्रिलोक चंद जैन अनिल रोकड़िया चन्देरी सौरवजैन बहदपुर बाबूलाल जैन मनोज सरंचना बग्लाचौराह भोनू जैन ईसागढ़ आदि ने निवेदन प्रस्तुत किया |
किसी पर एहसान मत थोपना नहीं तो जिंदगी भर का पुण्य समाप्त हो जायेगा
सारी दुनिया जो कुछ भी कर रही है बाप बेटे पर एहसान लाद रहा है, देख मैंने तेरे ऊपर कितना एहसान किया, बेटा बाप पर एहसान कर रहा है कि देखो मैं आपकी कितनी सेवा कर रहा हूँ। 99.9% आप घरों में एक दूसरे पर एहसान कर रहे हो, चींटी को बचाकर एहसान कर रहे हो और तो और तुम भगवान पर भी एहसान कर रहे हो। महानुभाव मंदिर बने या न बने, कभी एहसान मानकर मन्दिर में दान नही देना। जिंदगी भर का पुण्य भस्म हो जाता है जब एहसान आता है धर्म मे दो कार्य मत करना- एक कभी एहसान मत थोपना कि मेरे कारण से मंदिर बन गया, मेरे कारण से अभिषेक हो गया, चौका लग गया। दूसरा- मैं ही अकेला क्यों करूँ, मंदिर तो सबका है, स्वप्न में भी ये भाव मत लाना दान देते समय, नमोस्तु करते समय,अभिषेक पूजा करते समय, क्या सोचना-भगवान मेरा है।
दर्शन करते समय अनुभव आये ये मेरा देवता हैं
उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन से किंचित मात्र भी पुण्य नही है, दर्शन करते समय अनुभव में आये- ये मेरा देवता है, ये मेरा भगवान है। मैंने पूछा है- तुम्हारा भगवान कौन है, यदि तुम्हारे मन मे ये भाव आ गया कि मेरा भगवान 18 दोषों से रहित जिनेंद्र देव है, बस तुम्हारा कल्याण हो जाएगा हमारा यहाँ दान कितना देना है, इसका मूल्य नही है, यहाँ हमारे गजमोती भी कम है और मक्के के दाने भी अनमोल है। तुम्हारी शक्ति क्या है…? जो शक्ति को छिपाता है वह साँप के काटे के समान जीता है और जो शक्ति से ज्यादा करता है, वह बिच्छू के काटे के समान तड़फसता है। साँप का कांटा सोए और बिच्छू का कांटा रोये। पड़ोसी कितनी रोटी खा रहा है हमें ये नही देखना है, हमारी जठराग्नि कितनी है हमें ये देखना है।