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दान पर्व के रूप में मनाया जाता है जैन धर्म में अक्षय तृतीया को

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(विश्व परिवार)- आज अक्षय तृतीया पर श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश रारा ने एक प्रेस नोट जारी कर बतलाया की प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव ने दीक्षा के समय 6 मास का उपवास लिया था।उपवासोपरांत उन्होंने आहार हेतु विहार किया किंतु उन्हें 7 माह 9 दिन तक आहार प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि दान की विधि किसी को मालूम नहीं थी। एक दिन भगवान ऋषभदेव को देखकर हस्तिनापुर के राजा श्रेयांश को अपने पूर्व भव का स्मरण हो जाने के कारण दान की विधि मालूम हो गई और उन्होंने भगवान को प्रथम बार विधिवत पड़गाहन कर इक्षु रस का आहार दिया। उस दिन वैशाख शुक्ला तृतीया थी। उस दान के निमित्त से उस दिन राजा की भोजशाला में भोजन अक्क्षुण हो गया। अतः उसी दिन से जैन धर्मावलंबी अक्षय तृतीया को दान पर्व के रूप में मनाते आ रहे हैं ।
-कैलाश रारा

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