नई दिल्ली (विश्व परिवार)। देश के टॉप प्रॉपर्टी मार्केट्स में पिछले दो साल में मकान की कीमतें करीब 20% बढ़ी है, वहीं वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में कीमतें 9% बढ़ी हैं, इसके बावजूद घरों की मांग तेज बनी हुई है। क्रेडाई-कोलियर्स-लियासेस फोरास हाउसिंग प्राइस ट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो साल में घर की कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि दिल्ली-एनसीआर, बेंगलूरु और कोलकाता मं हुई है। इन तीनों शहरों में मकान की कीमतें 30% से अधिक बढ़ी है। वहीं आरबीआइ के ऑल इंडिया होम प्राइस इंडेक्स के मुताबिक, दिसंबर तिमाही 2023-24 में मकान कीमतें सबसे अधिक चेन्नई और कोलकाता में तो सबसे कम जयपुर और कोच्चि में बढ़ी है।
दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर जयपुर में मकान की कीमतें केवल 0.72त्न तो कोच्चि में केवल 0.64% बढ़ी है। वहीं इस दौरान चेन्नई में कीमतें 8.41% तो कोलकाता में 7.65% बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, मकान की कीमतों में यह बढ़ोतरी कम ब्याज दरों और सकारात्मक आर्थिक दृष्टिकोण के चलते मजबूत मांग के कारण हुई है। पिछले दो साल में बिना बिके आवास यानी अनसोल्ड इन्वेंटरी में कमी देखी गई। दिल्ली-एनसीआर में बिने बिके मकानों की संख्या सबसे अधिक 19% घटी है। आरबीआइ की ऑल इंडिया होम प्राइस इंडेक्स के मुताबिक, सितंबर तिमाही में 3.5% बढ़ी थी। 19% की बड़ी गिरावट दिल्ली-एनसीआर में आई अनसोल्ड इन्वेंटरी यानी बिना बिके मकानों की संख्या में, वहीं चेन्नई में 5% और पुणे में 10% की गिरावट आई।
इन शहरों में सबसे अधिक बढ़ी कीमतें
शहर 01 साल में 02 साल में
दिल्ली 09% 32%
बेंगलुरु 21% 31%
कोलकाता 11% 30%
हैदराबाद 10% 22%
पुणे 10% 18%
(स्रोत: क्रेडाई-कोलियर्स-लियासेस फोरास हाउसिंग प्राइस ट्रैकर रिपोर्ट)
दिसंबर तिमाही में कितनी बढ़ी कीमतें
शहर बढ़ोतरी
चेन्नई 8.41%
कोलकाता 7.65%
बेंगलूरु 6.34%
अहमदाबाद 5.10%
लखनऊ 3.09%
मुंबई 2.02%
कानपुर 2.16%
दिल्ली 1.13%
जयपुर 0.72%
कोच्चि 0.64%
(स्रोत: आरबीआइ ऑल इंडिया होम प्राइस इंडेक्स)
कुल घरों की मांग 9.3 करोड़ हो जाएगी
देश में मकानों की मांग ज्यादा है और आपूर्ति कम बनी हुई है। क्रेडाई और लाइसिस फोरास की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके चलते वर्ष 2036 तक भारत में अतिरिक्त 6.4 करोड़ मकानों की जरूरत पड़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 तक भारत में लगभग 2.9 करोड़ मकानों की कमी थी। इसलिए भारत में 2036 तक कुल घरों की मांग लगभग 9.30 करोड़ हो जाएगी। टियर 2 और 3 श्रेणी के शहरों में घरों की मांग और निर्माण जोर पकडऩे की उम्मीद है।