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निर्मला जी, सैलरी से चलती है गृहस्थी, बस इतनी सी राहत दे दीजिए….देश के वित्त मंत्री के नाम एक टैक्सपेयर की चिट्ठी

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नई दिल्ली(विश्व परिवार) | वित्त मंत्री जी, नमस्ते…एक बार फिर से वित्त मंत्री बनने के लिए आपको शुभकामनाएं. हम सब खुश हैं कि एक बार फिर से आप बजट पेश करने जा रही हैं. हर बार की तरह इस बार भी हम सब सैलरीड क्लास की उम्मीदें आपसे बंधी हैं. वित्त मंत्री जी हम तय सैलरी पाने वाले नौकरीपेशा लोगों की आपसे बड़ी उम्मीदें हैं. बढ़ती महंगाई, महंगे होम लोन, स्कूल से लेकर किचन के बोझ से हम इस कदर दब रहे हैं कि आपसे राहत की आस लगाकर बैठे हैं. हालांकि बीते कई सालों से हमें बार-बार मायूसी ही हाथ लगी है. हर बार हमारे अरमानों पर पानी ही फिरा है, टैक्स स्लैब में आपने बीते कई सालों से कोई बदलाव नहीं किया है. कई सालों से कमोवेश इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं दी गई. सैलरी से घर चलाने वाले हम टैक्सपेयर देश के लिए सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करते हैं, लेकिन सरकार की आय के सबसे बड़े सोर्स हम सैलरीड क्लास के हाथों में हमेशा मायूसी ही हाथ लगती है. लेकिन इस बार हमें आपसे कुछ राहत की आस हैं |

कुछ इनकम टैक्स ले जाता है, कुछ….

वित्त मंत्री जी मंदी की आहट भर ने कईयों की नौकरी छीन ली, हेल्थ पर खर्च बढ़ गया है, बच्चों की फीस से लेकर किचन का बजट तक बढ़ता ही जा रहा है. एक ओर खर्च बढ़ता जा रहा है लेकिन सैलरी उस हिसाब से नहीं बढ़ रही. बढ़ते खर्च के उलट इनकम पर जो टैक्स कटती थी वो जस की तस ही है. ऐसे में हम सैलरी वालों की बचत घटती जा रही है. महीने के आखिरी तक बैंक अकाउंट खाली हो जाता है और 1 तारीख का इंतजार तेज हो जाता है. सेविंग के नाम पर बहुत कुछ बचता नहीं है. हमारी जिंदगी तो किशोर कुमार के इस गीत, ” कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है कुछ इनकम टैक्स ले जाता है कुछ बीवी उड़ाती है…” जैसी हो गई है, लेकिन हालात तो ये है कि शौक तो दूर खर्च के पैसे भी कम पड़ जाते हैं. ऐसे में हमारी गाड़ी बार-बार इनकम टैक्स पर आकर अटक जाती है. आपने तो फरवरी में अंतरिम बजट के दौरान कहा भी था कि जुलाई में सबका ध्यान रखेंगी. हम सैलरीड क्लास को आपसे बहुत कुछ नहीं बस थोड़ी ही राहत चाहिए |

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