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पूर्व मंत्री शिव डहरिया का बड़ा खुलासा, बताया क्यों भूपेश सरकार ने अपनाई थी ऑफलाइन ट्रांजिट पास की सुविधा

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रायपुर(विश्व परिवार) छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कोयला सहित अन्य खनिजों के परिहन के लिए अब ई- ट्रांजिट पास फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। इससे पहले भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान इसे मेनुअल तरीके से जारी किया जाता ​था, जिसके बाद भूपेश सरकार पर 540 करोड़ रुपए के कोल घोटाले का आरोप लगा है। वहीं, खनिजों के परिहन के लिए ई- ट्रांजिट पास सिस्टम शुरू किए जाने को लेकर पूर्व मंत्री शिव डहरिया का बड़ा बयान सामने आया है।

कोयला समेत कई खनिजों के लिए ई- ट्रांजिट पास सिस्टम शुरू किए जाने को लेकर मंत्री डहरिया ने कहा है कि सरकार अपनी प्राथमिकता अनुसार काम करती है। मुझे इस पर ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। हमारी सरकार की प्राथमिकता पारदर्शिता से काम करना था, जिसके चलते ऑफलाइन ट्रांजिट पास सिस्टम को अपनाया था।

मिली जानकारी के अनुसार विष्णुदेव सरकार ने कोयला सहित अन्य खनिजों के परिवहन के लिए ऑनलाइन ई-ट्रांजिट पास व्यवस्था की फिर से शुरुआत की है। इससे पहले भूपेश सरकार ने ऑनलाइन की जगह मैनुअल ट्रांजिट पास जारी था, जिसके बाद 540 करोड़ रुपए के कोल घोटाले का मामला सामने आया था। कोल घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के कई नेता और अफसर ईडी के राडार में हैं और कुछ अफसर सलाखों के पीछे हैं।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान कोयला परिवहन में 540 करोड़ रुपए के घोटाले का राजफाश हुआ है। शासन की अनुमति के बिना ही भौमिकी एवं खनिकर्म विभाग के तत्कालीन संचालक समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई को 2020 को आदेश जारी कर ऑनलाइन परमिट की प्रचलित व्यवस्था को ख़त्म कर ऑफलाइन कर दिया था।

इस प्रक्रिया के कारण भ्रष्टाचार और अवैध उगाही को बढ़ावा मिला था। ईडी ने मामले में जांच के बाद न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया है। संचालक बिश्नोई अभी जेल में है। कोल परिवहन में भ्रष्टाचार और अवैध उगाही करने के मामले में ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने भी 30 व्यक्तियों के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज की थी।

कोल परिवहन की एनओसी और परमिट के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया होने से व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी हो जाएगी। इसमें में किसी भी तरह के अवैध परिवहन व वसूली पर अंकुश लगेगा। न सिर्फ कोयला, बल्कि अन्य खनिजों में पारदर्शी व्यवस्था होने से सरकार के राजस्व में वृद्धि हो सकेगी। प्रदेश में खनन गतिविधियों में आनलाइन सहित अन्य तकनीकी व्यवस्था का भी समावेश हो सकेगा। खनिज विशेषज्ञों के अनुसार राज्य सरकार का यह फैसला प्रदेश के लिए खनिज के माध्यम राजस्व के पारदर्शी स्रोत बढ़ाने और इसमें वृद्धि करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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