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प्रकृति की ताकत को नहीं पहचाना तो भविष्य में होगा बड़ा नुकसान: उरकुरकर

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दिशा काॅलेज की द पावर आफ नेचर कार्यशाला में विद्यार्थियों ने जाना प्रकृति की ताकत
रायपुर (विश्व परिवार)। प्रकृति की ताकत को आज हमने नहीं पहचाना, तो भविष्य में हमें इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रकृति में पेड़- पौधों का संरक्षण बेहद जरूरी है। ‘द पावर आॅफ नेचर’ पर दिशा काॅलेज में हुई कार्यशाला में पर्यावरणविद् और महाराष्ट्र मंडल के आजीवन सभासद प्रो. डा. जेएस उरकुरकर ने बच्चों को प्रकृति की ताकत से रूबरू कराते हुए उन्हें उनके संरक्षण के लिए प्रेरित किया।
महाराष्ट्र मंडल की पर्यावरण समिति की ओर से 12 अक्टूबर को दिशा काॅलेज में आयोजित इस कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य वक्ता प्रो. डाॅ. जेएस उरकुरकर और काॅलेज के प्राचार्य अनिल तिवारी ने दीप प्रज्जवलन के साथ किया। प्रो. उरकुरकर ने कहा कि जीव- जंतु जगत दो भागों में बंटा है। एक जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, दूसरा, जो भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। पेड़- पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। इन पेड़ों से हमें आॅक्सीजन मिलता है, जो हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं, लेकिन इसके संरक्षण को लेकर हम उदासीन हो जाते हैं। उन्होंने इसके फायदे के बारे में ग्राफिक्स की मदद से विस्तार से बताया।
उन्होंने आगे बताया कि पर्यावरण को लेकर हमारे लिए यह अच्छी बात है कि हमारे छत्तीसगढ़ में 44 फीसद से अधिक भूमि में जंगल है। देश में यह आंकड़ा 21.4 फीसद है। जानकारों का कहना है कि न्यूनतम 33 फीसद वन क्षेत्र अच्छा माना जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्र की काई (प्लेंनकटन) से बनने वाले आॅक्सीजन प्रक्रिया को हमारे द्वारा फेंके गए पाॅलीथिन, कूड़ा, करकट, विषैले रसायन प्रभावित कर रहे हैं।
दिशा कालेज के प्राचार्य अनिल तिवारी ने प्रकृति और पौधों के संरक्षण को लेकर अपने विचार रखें। कार्यक्रम में मंडल के पर्यावरण समिति के प्रमुख अभय भागवतकर, लक्ष्मीकांत चौधरी, रेखा उरकुरकर, मुदुल कुलकर्णी के साथ दिशा कालेज की डाॅ. सरिता शर्मा, डाॅ. सौम्या तिवारी सहित बड़ी संख्या में काॅलेज के छात्र व स्टाफ उपस्थित थे।
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