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बच्‍चों की पढ़ाई पर महंगाई की मार, 20 प्रतिशत तक बढ़े कापी-किताब के दाम, पैरेंटस का बिगड़ा बजट

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  • कापी, किताबों और स्टेशनरी उत्पादों पर भी महंगाई की मार
  •  स्‍कूल खुलते ही ढीली होने लगी अभिभावकों की जेबें
  • कागज के दाम बढ़ने ने बढ़ गए कापी-किताबों के दाम

रायपुर (विश्व परिवार) महंगाई की मार का असर अब कापी, किताबों और स्टेशनरी उत्पादों पर भी आ गया है। एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही स्कूल खुल गए हैं और अभिभावकों की जेबें भी ढीली होने लगी है। इस वर्ष कापी किताबों की कीमतों में 20 प्रतिशत की तेजी आ गई है।

हालांकि सरकारी स्कूलों में पुस्तकें तो सरकारी की ओर से दी जाती है, लेकिन कापियां व स्टेशनरी उत्पाद अभिभावकों को खरीदनी पड़ती है। निजी स्कूलों में जिनके बच्चे पड़ते हैं, उन पर महंगाई की मार ज्यादा पड़ेगी। ऐसे अभिभावकों का बजट पूरी तरह से बिगड़ रहा है। आलम यह है कि जिन कीमतों में बड़ी कक्षाओं की किताबें मिलती है, उतनी ही कीमतों में इन दिनों कक्षा चौथी, पांचवी व नर्सरी की आ रही है।

इस वजह से बढ़े कापी-किताब के दाम

शहर के स्टेशनरी संचालकों का कहना है कि पुस्तकों का प्रकाशन के साथ ही कागज के दाम बढ़ गए हैं। इसके चलते ही उन्हें ज्यादा कीमतों में कापियां और किताबें मिल रही है। थोक में ही निजी प्रकाशकों की किताबें 10 से 15 प्रतिशत तक महंगी हो गई है।

पिछले वर्ष तक कक्षा पांचवीं के कापी किताब का सेट जो 5,800 रुपये में मिलता था, वर्तमान में उस सेट की कीमत 6,700 रुपये हो गई है। इसी प्रकार अन्य कक्षाओं के भी कापी किताब के दाम बढ़े हैं। पहले जो कापी 35 रुपये में आती थी, वह अब 50 रुपये हो गई है। इन दिनों पुस्तक दुकानों में ग्राहकों की भीड़ देखी जा सकती है।

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