• मंत्र चिकित्सा के संदर्भ में मिली डॉक्टरेट की मानद उपाधि !
नई दिल्ली(विश्व परिवार)– लौकिक और पारलौकिक समस्याओं के समाधान हेतु सोहम मूवमेंट के तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित मुक्ताधारा ऑडिटोरियम में मंत्र मोक्ष नामक एक विशेष कार्यशाला का आयोजन रविवार , दिनांक 28 अप्रैल 2024 को किया गया जिसमें मंत्र चिकित्सा के अन्वेषक और प्रवर्तक परम श्रद्धेय मंत्र महर्षि डॉ. क्षुल्लक श्री १०५ योग भूषण जी महाराज ने अपना सानिध्य और मार्गदर्शन प्रदान किया।
इस विशेष कार्यशाला में गुरुदेव ने मंत्र चिकित्सा के रहस्यों को उद्घाटित करते हुए बताया कि मंत्र और अध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। प्राचीन समय से ही मनुष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए तत्पर है। प्राचीन काल से जुड़े ऋषि-मुनि, साधू संत इसके प्रेरक उदाहरण है। इसके लिए मंत्रशास्त्र के लिए उनकी श्रद्धा सदा बनी रही और यह श्रद्धा आज तक चली आ रही है। आज भी मनुष्य इश्वर से जुड़ने के लिए या आध्यात्म से जुड़ने के लिए आराधना में विभिन्न इष्ट मंत्रो का प्रयोग करता है।
मंत्र का शाब्दिक अर्थ है मन की रक्षा करने वाली ध्वनि, जो साक्षर और निरक्षर दोनों तरह की होती है। साक्षर ध्वनि वे हैं जिनमें कोई अक्षर या शब्द का प्रयोग किया जाता है, निरक्षर ध्वनि में शब्द प्रयोग नहीं किया जाता। इन दोनों ही ध्वनियों का प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है।
मंत्र साधना भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है। इस तथ्य से आज का प्रबुद्ध जन मानस भली भांति परिचित है और स्वयं के कल्याण के लिए लोग विभिन प्रकार के मंत्रों का जाप अकसर किया करते हैं। सभी धर्मों में मंत्र साधना व जाप का बहुत महत्व बताया गया है। मानसिक अशांति, शारीरिक तकलीफों को दूर करने के लिए बहुत से मंत्रो के बारे में बताया गया है।
धर्म की बताई हुई इन क्रियाओ पर विश्वास करने वाले को इन सब मंत्रो से बहुत लाभ प्राप्त हो सकता है। फिर वो चाहे किसी तरह का भय हो या पुराने कर्मो का उदय जाप साधना से आप सभी समस्यों से मुक्त हो सकते है बस देर हे तो मंत्रो पर विश्वास और श्रद्धा रखने की।
कार्यशाला के मध्य गुरुदेव द्वारा उपस्थित जनसमुदाय की सांसारिक और आध्यात्मिक समस्याओं के सरल, सटीक और सम्यक् समाधान भी बताए गए। इस कार्यशाला में दिल्ली, इंदौर, हैदराबाद, मुंबई, जयपुर, आगरा, गाज़ियाबाद, नोएडा आदि क्षेत्रों से शताधिक जिज्ञासुओं ने सम्मिलित होकर भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम ज्योतिष – मंत्र विज्ञान, स्वरविज्ञान और सामुद्रिक शास्त्र की बारीकियों को समझा ।
इस शुभ अवसर पर विश्व संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण आयोग (भारत सरकार) के द्वारा परम श्रद्धेय मंत्र महर्षि डॉ. क्षुल्लक श्री १०५ योग भूषण जी महाराज को “मंत्र चिकित्सा के आध्यात्मिक विज्ञान” के संदर्भ में “डॉक्टरेट” की मानद उपाधि से सम्मानित किया ।