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मन की एकाग्रता के साथ सिद्ध भगवान की पूजन अर्चना करने से मानसिक और शारीरिक दुःख दूर होते है।

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आचार्य श्री वर्धमान सागर

पारसोला(विश्व परिवार)– पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज संघ सहित पारसोला में विराजित है ।श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान आराधना महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन पारसोला में 17 मार्च से 26 मार्च तक आयोजित किया गया है आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने धर्म सभा में उपदेश में बताया कि भगवान बनने का गुण और शक्ति सभी प्राणियों में है ,पुरुषार्थ कर शक्ति गुण क्षमता को प्रकट कर भगवान के नित्य दर्शन, अर्चना पूजन, स्वाध्याय ,अभिषेक विधि पूर्वक करने से आप भी सिद्ध बन सकते हैं ।भगवान की भक्ति नृत्य करते समय हमारी भावना यही होनी चाहिए कि मैं भी आप जैसे बन सकूं आपके गुण प्राप्त कर सकूं , हमारी आत्मा पर जो कर्मों का आवरण है वह कर्म हटने पर, क्षय होने पर ही गुण प्रकट होते हैं। यह मंगल देशना पारसोला सम्मति भवन में आयोजित धर्म सभा में पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने प्रकट की। ब्रह्मचारी गज्जू भैया ,राजेश पंचोलिया इंदौर अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि प्रतिदिन देव दर्शन ,अभिषेक पूजन ,स्वाध्याय,त्याग,तप ,संयम आत्मा के चिंतन का महान पुरुषार्थ करने से आत्मा परमात्मा बन सकती है ।अभी लोगों के पास पंच परमेष्ठी को स्मरण करने का गुणानुवाद करने का समय नहीं है ।नमो सिद्धानम का एक छोटा मंत्र जाप आचार्य श्री ने दिया । आचार्य श्री ने कहा कि भगवान द्वारा प्रतिपादित धर्म का पालन करें ।मनुष्य जीवन सामान्य जीवन नहीं है कई वर्षों के संचित पुण्य भाग्य से मनुष्य जीवन मिलता है संसार रूपी चौराहे पर सही मार्ग का उपदेश देव शास्त्र गुरु देते हैं मन वचन काय पूर्वक धर्म के कार्य करना चाहिए धर्म कार्य से पुण्य अर्जित होता है मनुष्य पर्याय में चार कषाय को कम करना ,हटाना चाहिए। आजकल लोगों के त्याग करने के भाव नहीं बनते ,उपवास नहीं कर सकते इससे सरल उपाय यही है कि आप प्रतिदिन देव दर्शन अभिषेक पूजन स्वाध्याय करें । महामंडल विधान की भक्ति पूर्वक एकाग्रता से पूजन करने से इच्छाओं की पूर्ति सुख शांति और पुण्य मिलता है आचार्य श्री ने पांच इंद्रियों और विषय कषाय को कम करने की प्रेरणा दी । विगत दिनों से सिद्ध भगवान की पूजन में भगवान के गुण, रिद्धि,शुद्ध स्वरूप का गुणानुवाद कर रहे है इससे पुण्य प्राप्त कर मनुष्य जीवन सार्थक करने का प्रयत्न करे।

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