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महाव्रत के पालन के लिए जैन साधु केशलोचन करते हैं – मुनि श्री हितेंद्र सागर जी

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बांसवाड़ा(विश्व परिवार)  | आचार्य शिरोमणी वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने आज बांसवाड़ा में केश लोचन किया । आचार्य श्री खांदू कॉलोनी में संघ सहित विराजित हैं ।आज समस्त संघ और अनेक श्रद्धालुओं के सामने आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने अपना केश लोचन किया ।केश लोचन के बारे में संघ के मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ने चर्चा में बताया कि प्रत्येक दिगंबर साधु को 2 माह से 4 माह की अवधि के भीतर के केशलोचन करना अनिवार्य है केशलोच दिगंबर साधु का मूल गुण है । केश लोचन के माध्यम से शरीर से राग और मोह दूर होता है केश लोचन की प्रक्रिया में मुनि श्री ने बताया कि केश्लोचन करते समय केवल राख का उपयोग किया जाता है मुनि श्री ने बताया कि जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है बालों का लोचन अगर नहीं किए जाएं तो उसमें छोटे-छोटे जीवो की उत्पत्ति होने की संभावना होती है जैन साधु अहिंसा धर्म के महाव्रती होते हैं। बाल हाथों से इसलिए उखाड़े जाते हैं कि बालों को कटिंग करने के लिए सेविंग कराने के लिए अन्य द्रव्य की आवश्यकता होती है जैन साधु अपरिग्रही होते हैं। इसलिए जैन साधु अपने हाथ से केशलोचन करते हैं बाल सौंदर्य का प्रतीक हैं इससे राग और आकर्षण होता है। केश लोच से शरीर से ममत्व दूर होता है केश लोचन के समय तप,संयम, धैर्य के साथ धर्म की प्रभावना होती है जिस दिन जैन साधु केशलोच करते हैं उस दिन उपवास करते हैं ।केश लोचन देखकर अनुमोदना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है कर्मों की निर्जरा होती है। ब्रह्मचारी गज्जूभैया समाज अध्यक्ष सेठ अमृतलाल अनुसार आचार्य संघ सानिध्य में प्रतिदिन प्रवचन भक्ति के माध्यम से धर्म प्रभावना हो रही हैं बाहर से आने वाले अतिथियों का बहुमान समाज द्वारा किया जाता हैं राजेश पंचोलिया समाज प्रतिनिधि अक्षय डांगरा आचार्य श्री अजित सागर जी के शिष्य संघस्थ मुनि श्री पुण्य सागर जी का 23 जून को बांसवाड़ा मंगल आगमन गुरु चरण वंदना के लिए हो रहा हैं । श्री अंदेश्वर पारसनाथ में विराजित मुनि संघ को समाज के श्रेष्ठी वर्ग ने श्रीफल भेट कर बांसवाड़ा आगमन हेतु निवेदन किया |

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