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मानव अंतरदेशी लिफाफे के समान बचपन,जवानी और बुढ़ापा का प्रतीक है-आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माताजी

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ललितपुर (विश्व परिवार)| आचार्य श्री सुमतिसागर जी की परम शिष्या जिनधर्म प्रभाविका वात्सल्य मूर्ति गणनी आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी का बुंदेलखंड के सिद्ध एवम अतिशय क्षेत्रों के लिए विहार चल रहा है।समाज के निवेदन पर ग्रीष्मकालीन वाचना के लिए ललितपुर के श्री पार्श्वनाथ अटा दिगंबर जैन मंदिर में आर्यिका श्री विश्वयश माताजी सहित विराजित है। आज की धर्म सभा में प्रवचन में आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माताजी ने बताया कि
बच्चों को संस्कार देकर भगवान पंच परमेष्ठि का स्वरूप बताना चाहिए फूल के समान महकना या कांटा बन कर चुभन देना इनके सुख या दुख हमारे साथ होते हैं इनका अनुभव हमारी भावना पर निर्भर करता है । जितनी उम्र बढ़ती जाती है, आप उतने ही मृत्यु के नजदीक होते जाते हैं कपड़ों की मैचिंग पर कटाक्ष कर आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माताजी ने कहा कि मैचिंग ही करना है तो परमात्मा से मैचिंग करो। बच्चों को ससुराल भेजने के पहले कल्याणी बनाकर भेजो शास्त्रों का अध्ययन स्वाध्याय कराओ तब ससुराल स्वर्ग हो जाएगा जिन व्यसन को करने के लिए आप बच्चों को मना करते हैं वही व्यसन कार्य आप करते हैं तो बच्चों पर गलत प्रभाव होता है। मित्रों और धर्म सभा में दिल खोलकर हंसने से एक दिन औजारों से अस्पताल में दिल खोलने की नौबत नहीं आएगी अक्षय अलया, डा सुनील संचय अनुसार माताजी ने प्रवचन में आगे मानव की परिभाषा बताते हुए बताया कि व्यक्ति इंसान हाड़ मांस लहू की एक इमारत है जिसमें लहू गारा मिट्टी है ,ईट हड्डी है, और चंद सांसों पर यह ढांचा टिका है।आदमी एक अंतर्देशी लिफाफा है जिसे 3 बार मोड़ा जाता है उसी प्रकार बचपन की लहरे हैं ,जवानी का नजारा है ,और बुढ़ापे में लकड़ी हाथ में है और अंत में चिता में अंगारे हैं ।व्यक्ति को कहते हैं कि वह भगवान को प्यारा हो गया जिसने जिंदगी भर भगवान से प्यार नहीं किया तो वह भगवान का प्यारा कैसे हो गया ।अंधे रास्ता नहीं बता सकते हैं, बीमार इलाज नहीं कर सकते हैं किंतु आप बच्चों को संस्कार देखकर उनका जीवन अच्छा बना सकते हैं। दिगंबर जैन पंचायत समिति के अध्यक्ष डा अक्षय एवम महामंत्री आकाश अनुसार प्रवचन के पूर्व मंगलाचरण और आचार्य श्री विद्या सागर जी एवम आचार्य श्री सुमति सागर जी के चित्र समक्ष दीप प्रज्वलन मंदिर समिति और अतिथियों ने किया महिला मंडल ने जिनवाणी भेट की । आर्यिका संघ सानिध्य में प्रवचन के साथ शाम को गुरु भक्ति में भी काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं मंदिर में शिक्षण शिविर में भी सैकड़ों समाजजन विभिन्न विषयों की कक्षा में धर्म लाभ ले रहे हैं |

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