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मुनि पुगंव श्री सुधासागर महाराज कुलभूषण के साथ ही देश भूषण भी है-विनम्रसागरजी

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  • जिज्ञासा समाधान में मुनि श्री अजित सागरजी महाराज ने भी दिया सम्बोधन 
  • महा महोत्सव के वाद कुंडलपुर से उप संघों के विहार का क्रम जारी-विजय धुर्रा

हिंडोरिया दमोह(विश्व परिवार) – गृहस्थ को कोई भी पीठ सहित मूर्ति आदि घर मे नही रखना चाहिए, हा काँच जड़ित फोटो रख सकते है। जो रखी है उनको गहरे पानी आदि में  विसर्जित कर देना चाहिए जितने भी अकृत्रिम चीजे है तीर्थ भूमि पर जो स्वयं चौका लगाकर के आहार दान दे रहे है वे तब से पुण्य कमा रहे है जब से घर निकलकर तीर्थ क्षेत्र पर पहुंचे हैं  तीर्थ क्षेत्र पर चौका लगाकर वे पात्रों को दान देने की भावना हर समय भा रहे हैं और जो तात्कालिक  चौके में जा रहे है वह आपका व्यवहार है आगम से ऐसी कोई परम्परा नही की आप दूसरे के चौके में जा कर आहार दें फिर भी आपका ये व्यवहार चलता है चक्रवर्ती नौकरों के हाथ का भोजन करता है लेकिन जब चौका लगता है तब रानी ही स्वयं भोजन बनाती है, हा बाहर के कार्य की बात अलग है आज तो आपकी सरकार में बैठे लोग भी वेतन ले रहे हैं तो बाहरी कार्य आप किसी से भी करा सकते हैं उक्त आश्य के उद्गार मुनि पुगंव श्री सुधासागजी महाराज ने हिंडोरिया दमोह में जिज्ञासा समाधान समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए |

मुनि श्री अजित सागरजी मुनि श्री विनम्र सागरजी महाराज का सानिध्य मिल रहा है-विजय धुर्रा
मध्य प्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि निर्यापक श्रमण मुनि पुगंव श्री सुधासागजी महाराज मुनिश्री अजित सागरजी महाराज मुनिश्री विनम्ररसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में जिज्ञासा समाधान हिंडोरिया में हुआ कुंडलपुर तीर्थ क्षेत्र से मुनि संघ का विहार जारी है उप संघों का विहार विभिन्न नगरों के लिए चल रहा है जिज्ञासा समाधान के पहले सत्र में मुनि श्री विनम्र सागरजी महाराज ने कहा कि जिज्ञासा समाधान के माध्यम से आप अपनी शंका का समाधान स्वयं समाधान परम पूज्य निर्यातक श्रमण मुनि श्री सुधासागरजी महाराज के श्री मुख से प्राप्त कर सकते हैं
*मुनि पुगंव सुधा सागर जी महाराज कुलभूषण के साथ देश भूषण भी है–विनम्रसागरजी महाराज*

जि बसज्ञासा समाधान का संचालन करते हुए प्रखर वक्ता मुनि श्री विनम्र सागरजी महाराज ने कहा कि आज हिंडोरिया की पवित्र पावन भूमि पर वीच में मध्य में विराजमान मुनि पुगंव श्री सुधासागजी महाराज के दर्शन कर रहे हैं आप सभी उन्हें मुनि पुगंव कहते हैं लेकिन परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य भगवंत गुरु देव श्री विद्यासागर जी महाराज का चतुर्विधा संघ उन्हें क्या कहता है उसे मैं बताना चाहता हूं कुछ लोग कुल भूषण होते हैं कुल लोग देश भूषण होते हैं लेकिन कोई एक किन्तु  कुलभूषण के साथ ही देश भूषण है उसे सुधासागर महाराज कहते हैं आपके हाथ का आशीर्वाद सभी मुनि राजो के साथ आर्यिका संघ पर भी आचार्य भगवंत की भांति वना हुआ है |

अभी दुःख कम है उसमें अधिक दुःखी होकर तीव्र कर्म का बंध कर लेते हैं

मुनि श्री अजित सागरजी महाराज ने कहा कि महा महोत्सव के वाद सभी संतों का अपने अपने गंतव्य की ओर विहार हो रहा है आज आपको तीन तीन संघों का सानिध्य जिज्ञासा समाधान में मिल रहा है इस दौरान मुनि पुगंव श्री सुधासागजी महाराज ने कहा कि दुख मनाना, शोक करना, जोर जोर से रोना, दूसरे को दुःखी करना ये सब असाता वेदनीय कर्म के बंध के कारण है। अभी दुःख कम है लेकिन व्यक्ति उसमे और अधिक दुःखी होता है तब ऐसे कर्म का बन्ध होगा कि उसे और दुःखी होना पड़ता है।

सकलीकरण करने के वाद विधान आदि में सूतक नहीं लगता
मुनि पुगंव ने कहा कि सकलीकरण करने के बाद यदि विधान के दौरान सूतक होने पर आप घर नही जायेंगे, घर का भोजन नही करेंगे, घर के वस्त्र आभूषण आदि ग्रहण नही करेंगे तो फिर आप पूरा विधान कर सकते है। यदि आप घर जाते है या घर की चीजो का प्रयोग करते है तब बराबर सूतक लगेगा और विधान छोड़ना पड़ेगा

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