रायपुर (विश्व परिवार)– वरिष्ठ कवि राजेश जैन “राही” की व्यंग्य कृति ‘नाचे आम आदमी’ का विमोचन 21 अप्रैल, रविवार, वृंदावन सभागार, रायपुर में अतिथियों डॉ. गिरीश पंकज, डॉ. चितरंजन कर, डॉ महेंद्र ठाकुर, डॉ. मृणालिका ओझा, शालू साँखला (भीलवाड़ा), सलोनी जैन (ब्यावर), डॉ सीमा श्रीवास्तव, राजकुमार मसंद एवं संजय जैन गिड़िया के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ ।
कृति पर डॉ. गिरीश पंकज, डॉ चितरंजन कर एवं डॉ. मृणालिका ओझा ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे । कृति प्रतिष्ठित श्वेतवर्णा प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुई है । गद्य और पद्य मिलाकर कृति में कुल 81 व्यंग्य हैं । कृति की भूमिका प्रख्यात व्यंग्यकार श्री सुभाष चन्दर दिल्ली ने लिखी है। विमोचन के पश्चात मेरे द्वारा शीर्षक व्यंग्य ‘नाचे आम आदमी’ एवं काव्य व्यंग्य ‘ शिक्षा और संस्कार की मुलाकात’ का पाठ किया गया । जिसे उपस्थित साहित्य प्रेमियों ने बहुत पसंद किया
विमोचन के पश्चात आयोजित कवि-सम्मेलन में शालू साँखला (भीलवाड़ा), सलोनी जैन (ब्यावर) समेत स्थानीय रचनाकारों ने अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया ।
राजेश जैन ‘राही’ ने कहा-
“जिस पर मूल्य लिखा रहता है वह बिक जाता है,
जो मूल्यों के लिए जीता है, वह रास्ता दिखलाता है।”
आर डी अहिरवार ने कहा-
माना तेरी नज़र में मेरी अहमियत नहीं
ऐसा नहीं कि मुझ में कोई ख़ासियत नहीं l
काँटो के बदले आपको मुझ से मिलेंगे फूल
गाली के बदले गाली मेरी तरबियत नहीं ।
जावेद नदीम जी ने कहा-
कोई खज़ाना मिल सकता है ध्यान रखो
उजड़ी बस्ती वालों से पहचान रखो
टूट गया तो ख़ुद को कैसे देखोगे
चेहरे वालों आईने का मान रखो।
सीमा श्रीवास्तव ने कहा-
पिता ने आँखों में कभी नमी नहीं आने दी ।
जीवन में किसी चीज की कमी नहीं आने दी ।
खेल खेल में मन बहलाने को जो खिलौने तोड़े थे ।
उनके लिए उन्होंने ओवरटाइम काम करके पैसे जोड़े थे ।
अनिल श्रीवास्तव ज़ाहिद ने कहा-
हम जिधर भी गये काफ़िला बन गया l
जिसको जो भी लिखा वो दुआ बन गया l
गमजदा लोगों से जो कहा हमने वो
उनके हर दर्दों गम की दवा बन गया l
विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वाली विभिन्न सामाजिक संस्थाओं 1- योगानन्दम 2- रंगभूमि 3- प्रकृति की ओर सोसायटी 4- स्टे फिट विथ मी 5- युवा, रायपुर को ‘नवरंग समाज रत्न सम्मान’ से सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सीमा श्रीवास्तव एवं श्री अनिल श्रीवास्तव ज़ाहिद ने किया ।
सदन में प्रमोद साहू पारखी (तुमसर), आई.डी. आशिया राजेंद्र सेठिया, डॉक्टर सुशील कोटेजा, शायर जावेद नदीम, सुदेश मेहर, कुमार जगदलपुर, हर्ष व्यास की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।
व्यंग्य कृति श्वेतवर्णा प्रकाशन, दिल्ली द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध है ।