रायपुर (विश्व परिवार)। आज पूरे विश्व मे २०२४ जनवरी २०२४ माघ बदी १२ संवत २०८० का भारी उल्लास और उमंग के साथ प्रातः १२: २९ बजे की उस शुभ घड़ी की इंतजार ( प्रतिक्षा) की जा रही है जब अयोध्या धाम में भगवान श्री राम के जन्मस्थान में भव्य मंदिर के निर्माण के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है | इस शुभ घड़ी के लिए कितने धर्म रक्षक, संस्कृति रक्षक, कार्य के लिए अनेकों ने अमूल्य जीवन की , समय की , स्वास्थ की प्रवाह किए बगैर अमूल्य आहुति दी | इसके लिए अपना तन मन धन न्योछावर कर दिया| उनके इस त्याग , सामर्थ , संघर्ष को आज की वर्तमान पीढ़ी,युवा शक्ति को अवगत करा कर देश, धर्म, संस्कृति की रक्षा का संकल्प दिलाना आवश्यक ही नहीं समय की मांग और जरूरत भी है
उस संघर्ष बलिदान त्याग अनेक घटनाओं का लगभग ५५० वर्षो से उल्लेख होता ही रहा है लेकिन वर्तमान समय में जब सन् १९४९ में जन्म भूमि में रामलला की प्रतिमा रखी गई और फिर उसके बाद से न्यायालीन प्रक्रिया से उसी आगे बढ़ते हुए आक्रांताओं के द्वारा नष्ट किए प्रमाण को उजागर करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का कार्य निरंतर जारी रखते हुए कोटी कोटी हिंदू जन को ज्वार उठाकर मांगे की हुंकार करते हुए सन १९८९ में मंदिर का ताला खुलवाकर जन जागरण में संकल्प दिला कर की ” सौगंध राम की खाते है मंदिर नही बनायेगे” ज्वार पैदा किया गया इस ज्वार को पैदा करने के लिए पहले अयोध्या से राम ज्योति निकाली गई जो पूरे देश में पहुचाई गई इसमें विश्व हिंदू परिषद, राष्टीय स्वयं सेवक संघ सहित समस्त हिंदू समाज को जोड़ने का पुनीत कार्य किया गया इसके बाद राम मंदिर निर्माण कार्य के लिए हर शहर हर गांव गलियों तक शीला पूजन का अभियान चलाया गया इसमें प्रत्येक परिवार से शीला पूजन आर्थिक सहयोग कूपन के द्वारा लिया गया |