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रायपुर दक्षिण सीट पर उपचुनाव की तैयारी शुरू, भाजपा को बृजमोहन जैसे प्रत्याशी की तलाश, जो अगले 20 वर्षों तक संभाल सके कमान

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  • दक्षिण उपचुनाव में पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को मिल सकती है टिकट
  • मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही दक्षिण से प्रत्याशी पर शीर्ष नेतृत्व से चर्चा
  • दक्षिण से 20 वर्षों के नेतृत्व की तलाश, संगठन से प्रत्याशी पर नजर

 रायपुर(विश्व परिवार)रायपुर दक्षिण विधानसभा का उपचुनाव अगले छह महीनों के भीतर होना है। इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी-अपनी कवायद शुरू कर दी है। भाजपा के शीर्ष नेताओं की दिल्ली की दौड़ शुरू हो गई है। वहीं, संगठन की मानें तो, भाजपा दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल की तरह ही ऐसे प्रत्याशी की तलाश में जुटी है, जो कि अगले 20 से 25 वर्षों तक दक्षिण की कमान संभाल सके और भाजपा का गढ़ वहां बना रहे। इसके लिए भाजपा संगठन में चर्चाओं का दौर भी लगभग अपने अंतिम चरण पर है।

सूत्रों के अनुसार भाजपा इस बार किसी युवा चेहरे पर दांव खेल सकती है। इसके लिए संगठन के पदाधिकारियों की टेलीफोनिक चर्चा भी की जा चुकी है। हालांकि, नाम पर अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से ही तय किया जाएगा। इसके लिए भाजपा के राज्य के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली में इनकी चर्चा भी की जा रही है, जिस पर चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद कभी भी मुहर लग सकती है।

इसी बीच शहर में दक्षिण विधानसभा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में वाल पेंटिंग से लेकर होर्डिंग लगवाने का दौर भी शुरू हो चुका है। इसके अलावा टिकट की आस लगाए बैठे नेताओं ने जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है, ताकि संगठन की नजर उन पर पड़े और टिकट मिले।

ये हो सकते हैं दावेदार

भाजपा की ओर से संगठन में रहे केदार गुप्ता, संजय श्रीवास्तव, अवधेश जैन और नंदन जैन के नाम लोगों के अलावा संगठन के बीच चर्चा में चल रहे हैं। इसके अलावा पार्षदों में भी दावेदारी की होड़ सी मची हुई है। जिसमें मीनल चौबे, मृत्युंजय दुबे, मनोज वर्मा सहित आधा दर्जन से ज्यादा पार्षद शामिल हैं।

भितरघात का भी खतरा

जिस तरीके से भाजपा में दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं, उस हिसाब से दक्षिण का रण काफी रोचक होता दिखाई दे रहा है। चूंकि भाजपा की सरकार है और दक्षिण पहले से ही भाजपा का गढ़ है। ऐसे में टिकट नहीं मिलने पर भितरघात का भी सामना भाजपा को करना पड़ सकता है।

भाजपा संघ के करीबी कांग्रेस से भी युवा संभव

भाजपा से टिकट में संगठन के अलावा संघ के करीबी पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार के भितरघात का खतरा न रहे। वहीं, कांग्रेस से इस बार पुराने प्रत्याशी भी अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं, लेकिन पुराने चेहरों की हार को देखते हुए कांग्रेस भी इस बार किसी युवा चेहरे को मौका दे सकती है।

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