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रायपुर बाजार पर चढ़ा होली का रंग, टैंक के साथ मशीन गन वाली पिचकारी की डिमांड, मुखौटे पर लगा बैन

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  • होली बाजार में देशी उत्पादों की मांग
  • 50 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की पिचकारियां उपलब्ध

रायपुर(विश्व परिवार)होली का बाजार धीरे-धीरे सजने लगा है। बच्चों की खास पसंद पिचकारी भी अब बिकने लगी है। हालांकि हाल के वर्षो में बाजार से चाइनीज सामान पर लोगों का भरोसा कम हुआ है। पहले चाइनीज पिचकारी का बोलबाला हुआ करता था। दाम कम होने की वजह से इसकी बिक्री अधिक होती थी।
क्वालिटी अच्छी नहीं होने के कारण होली आते-आते खराब हो जाती थी। ऐसे में अब अपने देश की पिचकारी खूब भा रही है। लोगों के सोच में भी बदलाव आने से चाइनीज सामान की अपेक्षा भारतीय सामान खरीदने पर जोर दे रहे हैं। सप्ताह के आखिर में पड़ने वाली होली के रंग में अब पूरा बाजार रंग गया है। चाहे वह शहर का मुख्य गोल बाजार हो या फिर शहर के संतोषी नगर, टिकरापारा, गुढ़ियारी, कटोरा तालाब समेत लगभग सभी बाजार सज चुकी हैं।

होली की पिचकारियों के साथ ही रंग-गुलाल व गुब्बारे देखे जा सकते हैं। खास बात यह है कि संस्थानों में देशी पिचकारियां ही दिखाई देगी। कारोबारियों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ज्यादा कारोबार की उम्मीद है। कैट द्वारा पिछले कई वर्षों से देसी उत्पादों का प्रयोग और चाइना उत्पादों का बहिष्कार को लेकर अभियान भी चलाया जा रहा है।

टैंक व मशीन गन वाली पिचकारी की धूम

होली बाजार में बच्चों के लिए विशेष रूप से कार्टून पिचकारियों के साथ ही टैंक व मशीन गन वाली पिचकारियां है। इसके साथ बच्चों द्वारा पीछे बैग के रूप में लटकाई जाने वाली पिचकारियां मौजूद है। कारोबारियों के अनुसार लोगों के बजट के अनुसार 50 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की पिचकारियां उपलब्ध है। पिचकारियों के साथ ही होली बाजार में हर्बल गुलाल व रंग भी आ गए है, जो विभिन्न ब्रांड में उपलब्ध है।

होली में मुखौटे पर लगा बैन

कारोबारी संजय कुमार का कहना है कि अब उपभोक्ता भी भारतीय कंपनियों की पिचकारियां ही मांगते हैं। पिचकारियों के साथ ही होली में विशेष रूप से बालियां व बाल भी आए हुए है। उपभोक्ताओं द्वारा जमकर खरीदारी की जा रही है।

बताया जा रहा है कि प्रशासन द्वारा होली में इस वर्ष मुखौटे प्रतिबंधित कर दिए गए है। मुखौटे लगाए होने पर असामाजिक तत्वों द्वारा हुड़दंग कर आसानी से भागा जा सकता है। इसे देखते हुए ही प्रशासन द्वारा मुखौटे पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके कारण बहुत से संस्थानों में मुखौटे नहीं बेचे जा रहे।

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