- एम्स में 350 से अधिक पंजीकृत रोगी, दिल्ली और चंडीगढ़ के बाद सबसे अधिक
- अत्याधुनिक उपचार सुविधाओं से पल्मोनरी विभाग में किया जा रहा है इलाज
रायपुर (विश्व परिवार)– इंटरस्टीशियल लंग डिजिज (आईएलडी) के बढ़ते रोगियों और उनके उपचार के लिए उपलब्ध नवीन चिकित्सा पद्धति के बारे में विमर्श के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ‘पल्मोनरी मेडिसिन अपडेट्स-2024’ सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर चिकित्सकों ने बताया कि ध्रूमपान और वायु प्रदूषण की वजह से आईएलडी रोगियों की संख्या बढ़ रही है जो काफी चिंताजनक है।
मुख्य वक्ता डॉ. विजय हाडा, एम्स दिल्ली, डॉ. सहजल धुरिया, पीजीआई चंडीगढ़ और डॉ. पीआर मोहापात्रा, एम्स भुवनेश्वर ने आईएलडी के रोगियों की बढ़ती संख्या को चुनौतीपूर्ण बताते हुए इसके प्रारंभिक लक्षणों और उपचार की नवीन पद्धतियों के बारे में चिकित्सकों को बताया। सिम्पोजियम का उद्घाटन करते हुए कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (रिटा) ने कहा कि बढ़ते वायु प्रदूषण, धूम्रपान और पोस्ट कोविड लक्षणों की वजह से पल्मोनरी के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। एम्स में इनके लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
आयोजन सचिव डॉ. अजॉय बेहरा ने बताया कि आईएलडी में छाती और फेफड़े में मौजूद एयर कैपिलरी ठीक से कार्यशील नहीं हो पाती जिससे आक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है। इसके लक्षण में सूखी खांसी, छात्री में हल्का दर्द, अत्याधिक थकावट और कमजोरी, सांस में दिक्कत या हांफना प्रमुख हैं। एम्स में आईएलडी के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
प्रत्येक बुधवार को आयोजित विशेष क्लिनिक में अब तक 350 आईएलडी रोगी पंजीकृत हो चुके हैं। यह संख्या दिल्ली और चंड़ीगढ़ के बारे देश में तीसरी सबसे अधिक है। प्रतिदिन विभाग की ओपीडी में आने वाले 120 रोगियों में 20 से 30 रोगी गंभीर श्वसन रोगों से ग्रस्त होते हैं।
उन्होंने बताया कि एम्स में इन रोगियों को अत्याधुनिक उपचार प्रदान किया जा रहा है जिसमें कंपलीट लंग फंक्शन टेस्ट, स्पायरोमैट्री, सिक्स मिनट वॉकिंग टेस्ट, डीएलसीओ, फुल बॉडी बॉक्स जांच उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मंगलवार को विशेष अस्थमा क्लिनिक और गुरुवार को स्लिप डिसआर्डर क्लिनिक भी संचालित किए जा रहे हैं।