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विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के लिए अब मिलेंगे 50 लाख रुपये, साय सरकार ने की घोषणा, चित्रकोट महोत्सव की राशि भी बढ़ी

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जगदलपुर  (विश्व परिवार)। बस्तर की विलक्षण संस्कृति के अभिन्न अंग विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के साथ ही अंचल के कुछ अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों के लिए प्रदेश सरकार ने आर्थिक सहायता राशि बढ़ाने की घोषणा की है।

बस्तर दशहरा पर्व के लिए सरकार की ओर से 35 लाख रुपये मिलते थे जिसे बढ़ाकर 50 लाख किया जाएगा। इसी तरह सुकमा जिले में रामाराम मेला के लिए अब 10 की जगह 15 लाख रुपये, चित्रकोट महोत्सव के लिए 10 की जगह 15 लाख रुपये और यहां जगदलपुर में गोंचा पर्व मनाने के लिए मिलने वाली तीन लाख रुपये की राशि को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया जा रहा है।

जगदलपुर विधायक व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव द्वारा विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में संस्कृति, पर्यटन व धर्मस्व विभाग मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस बात की जानकारी दी। किरण सिंह देव ने इसके लिए प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है।

बस्तर की संस्कृति व कला विलक्षण और अपने आप में एक अनोखी परंपरा

उन्होंने सदन में प्रश्नकाल के दौरान सवाल पूछते मांग की थी कि छत्तीसगढ़ प्रदेश अपनी सांस्कृतिक धरोहर, परंपरा व मेला मड़ई के उत्सव मनाए जाने के लिए पूरे देश में जाना जाता है। बस्तर संभाग में विश्व प्रसिद्ध दशहरा, चित्रकूट महोत्सव, रामाराम मेला, गोंचा पर्व एवं मेला मड़ई व जात्रा की परंपरा को समेटे हुए वर्ष भर सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन होते हैं। बस्तर की संस्कृति व कला विलक्षण और अपने आप में एक अनोखी परंपरा है।

इस तरह के आयोजनों से हमारे बस्तर की अलग पहचान भी है। इन सभी परंपराओं बनाए रखकर आयोजन को और समृद्ध करने के लिए शासन को आर्थिक सहायता राशि में बढ़ोतरी करना चाहिए। मंत्री ने किरण सिंह देव की मांग पर सहमति जताते हुए बताया कि सरकार संस्कृति, कला की समृद्धि के लिए लगातार काम कर रही है। जवाब में उन्होंने बस्तर के इन चार प्रमुख आयोजनों के लिए अनुदान राशि बढ़ाने की घोषणा की।

75 दिनों का बस्तर दशहरा

बस्तर दशहरा देश में सर्वाधिक 75 दिनों तक चलने वाला सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन है। छह सौ साल से अधिक समय से बस्तर दशहरा अपनी रीति परंपरा के अनुरूप मनाया जा रहा है। इस आयोजन में शामिल होने बस्तर के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। देश-विदेश के सैलानी भी इस अवसर पर यहां आते हैं। बस्तर दशहरा हमेशा से देश दुनिया के लिए कौतूहल का केंद्र रहा है।

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