Home धर्म शादी का मंडप छोड़कर पहाड़ में विराजी मां ‘मड़वारानी’…

शादी का मंडप छोड़कर पहाड़ में विराजी मां ‘मड़वारानी’…

64
0

 रायपुर(विश्व परिवार) शादी के मंडप को छत्तीसगढ़ी में ‘मड़वा’ कहते हैं। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पास सरगबुंदिया, बरपाली से लगी है मड़वारानी पहाड़ी। इसी पहाड़ी पर है मां ‘मड़वारानी’ का सिद्ध मंदिर। जहां नवरात्रि में भक्तों का मेला लगता है। इस पहाड़ी ही नहीं, पहाड़ी के नीचे और आसपास के कई गांवों में मां ‘मड़वारानी’ की पूजा पूरे आस्था के साथ की जाती है। माना जाता है की मां मड़वारानी स्वयं प्रकट होकर आस-पास के गावों की रक्षा करती हैं। माँ मड़वारानी का मुख्य मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। मां मड़वारानी मंदिर घने पर्वत में फूलों एवं फलदार वृक्षों से अच्छादित हैं और आयुर्वेदिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। पहाड़ में पशु पक्षियों जैसे भालू, बंदर आदि को विचरण करते देखे जाते हैं। मां मड़वारानी की कहानी की ऐतिहासिक है और ऐसा बुजुर्गों द्वारा आंखों देखी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है क़ि मां मड़वारानी अपने शादी के मंडप (मड़वा) को छोड़ कर आ गयी थी। इसी दौरान बरपाली-मड़वारानी रोड में उनके शरीर से हल्दी एक बड़े पत्थर पर गिरी और वह पत्थर पीला हो गया। मां मड़वारानी के मंडप से आने के कारण गांव और पर्वत को मड़वारानी के नाम से जाना जाने लगा।

अविवाहित स्वरूप में हैं मड़वारानी देवी

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि उनके परदादा के सपने में मां मड़वारानी आई थीं। उन्होंने कलमी पेड़ पर होने की बात कही थी। तब से मां मड़वारानी की पूजा होने लगी। मड़वारानी मां आसपास के गांव बरपाली, सोहागपुर, भैसमा, मड़वारानी, बाजार में खरीदी करने के लिए आती थीं. एक दिन कुछ लोग मड़वारानी मां का पीछा करने लगे तो मड़वारानी मां कलमी पेड़ में जाकर छिप गईं। किवदंती ये भी है कि मां मड़वारानी भगवान शिव से कनकी मे मिली एवं मड़वारानी पर्वत पर आई। मां मड़वारानी संस्कृत में “मांडवी देवी” के नाम से जानी जाती है। यह माना जाता है क़ि कुछ ग्राम वासियों द्वारा देखा गया कि कलमी वृक्ष एवं उसके पत्तियों में हर नवरात्रि को जवा उग जाता है और एक सर्प उसके आस पास विचरण करता है और आज भी कभी-कभी दिखाई पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि एक दूसरे कलमी पेड़ में मीठे पानी का स्रोत था जो हमेशा बहता रहता था। पर एक दिन एक ग्रामीण पानी लेते समय अपना बर्तन खो दिया और उसने पेड़ को काटकर देखा पर उसे अपना बर्तन नहीं मिला।

पहाड़ी पर है मड़वारानी का मुख्य मंदिर

मां मड़वारानी मुख्य मंदिर, मड़वारानी पहाड़ के सबसे ऊंची चोटी पर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है। एक कलमी वृक्ष के कट जाने के बाद मां मड़वारानी अपनी चार बहनों के साथ वहां आई और अपनी शक्ति को वहां रखे पांच पत्थरों में समाहित कर दिया, जिन्हे आज पिंडी रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा मड़वारानी पहाड़ के नीचे कोरबा-चांपा हाइवे पर एक और मड़वारानी मंदिर है। जो लोग पहाड़ी नहीं चढ़ सकते, वे यहां मां के दर्शन करते हैं। सड़क से जाने वाला हर व्यक्ति थोड़ी देर ठहर कर मां मड़वारानी से आशीर्वाद लेकर ही अपने गंतव्य को प्रस्थान करता है। मंदिर के समीप ही भगवान विष्णु, भगवान शिव, नवदुर्गा एवं राधा-कृष्ण मंदिर भी स्थित है। माँ मड़वारानी मंदिर पहाड़ ऊपर जाने वाले मार्ग में हनुमान जी का मंदिर है।

हर गांव में होती है ‘मड़वारानी’ दाई की पूजा

मड़वारानी दाई की महिमा एवं अपार श्रध्दा के कारण तराई के सभी ग्रामों में मड़वारानी दाई की पुजा अर्चना होती है। इस कारण ग्राम कोथारी, बरपाली, सरगबुंदिया की एवं आस-पास के बहुत से ग्राम में माता मड़वारानी दाई की मंदिर निर्माणकर मड़वारानी दाई को स्थापित करके प्रतिदिन पुजा अर्चना करते हैं। मां मड़वारानी के पावन स्थल पूर्णतः जंगल पर स्थित है। वर्तमान में वर्तमान पहाड के नीचे वाले सभी गांवों में पक्की सड़क, हेण्ड पंप, बिजली, स्कूल, के लिए रकम की व्यवस्था हो गई तथा पहाड़ के तरफ नीचे रोड पक्की-कच्ची स्थित है।

ऐसे पहुंचें मड़वारानी

मां मड़वारानी कोरबा के करतला ब्लॉक के अंतर्गत एक पहाड़ी पर विराजमान हैं। यह स्थान जिला मुख्यालय कोरबा से 28 किलोमीटर और जांजगीर-चांपा जिले के चांपा से लगभग 15 किलोमीटर दूर कोरबा चांपा मुख्य मार्ग पर है। यहां सड़क और रेल मार्ग से पहुंचा जा सकता है। कोरबा और चांपा से मड़वारानी बस स्टैंड के लिए बस सुविधा उपलब्ध है। चांपा जंक्शन के लिए देश के लगभग सभी रेलवे स्टेशन से सीधी रेल सुविधा उपलब्ध है। चांपा से मड़वारानी तक लोकल ट्रेन की सुविधा भी उपलब्ध है। ग्राम बरपाली से एक किलोमीटर और सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर दूर मड़वारानी मंदिर पूरी तरह सीढ़ियों वाला है। झोंका-महोरा से एक किलोमीटर और ग्राम खरहरी से चार किलोमीटर लंबी चढ़ाई के बाद मां मड़वारानी का मंदिर है।

आसपास क्या देखें

मां मड़वारानी मंदिर के दर्शन पश्चात परिवार एवं मित्रजनो के साथ मनोरंजन एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने के लिए थीपा-पानी, चुहरी, कोठी-खोला जैसे कई प्राकृतिक स्थल हैं। हसदेव तट, कुर्रिहा तट, झींका तट एवं खरहरी स्टॉप डैम पर्यटको की सर्वाधिक पसंदीदा स्थल हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here