Home रायपुर शीघ्र जांच से 500 से अधिक प्राइमरी इम्यूनोडेफिसिएंसी की पहचान संभव

शीघ्र जांच से 500 से अधिक प्राइमरी इम्यूनोडेफिसिएंसी की पहचान संभव

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एम्स में आयुष विवि के कुलपति प्रो. पी.के. पात्रा को सम्मानित किया गया

रायपुर(विश्व परिवार)– प्राथमिक रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी की वजह से होने वाले इंफेक्शन और रोगों की रोकथाम के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में राष्ट्रीय सीएमई आयोजित की गई। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने 500 से अधिक प्राइमरी इम्यूनोडेफिसिएंसी के नियंत्रण के लिए शीघ्र जांच करने और गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने पर जोर दिया।

‘एन इनसाइट इनटू प्राइमरी इम्युनोडेफिसिएंसी डिसआडर्स’ विषय पर बायोकैमिस्ट्री विभाग के तत्वावधान में आयोजित सीएमई का उद्घाटन करते हुए कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्राइमरी इम्यूनोडेफिसिएंसी एक चुनौती है जिसके निदान के लिए डेटा रजिस्ट्री की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गंभीर रोगों की जानकारी और उनके निदान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्री बनाए जाने की आवश्यकता होती है जिससे डेटा एकत्रित कर शोध और अनुसंधान किया जा सके।

विभागाध्यक्ष डॉ. एली मोहपात्रा ने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता के पूर्णतः कार्यशील न होने या अनुपस्थित होने की स्थिति में रोगियों को 500 प्रकार की प्राइमरी इम्यूनोडेफिसिएंसी हो सकती है जिनमें कई गंभीर भी हो सकती हैं। इससे रोगी को दुर्लभ बीमारियां भी हो सकती हैं। इसी विषय पर जागरूकता के लिए सीएमई आयोजित की जा रही है।

सीएमई में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि प्राइमरी इम्यूनोडेफिसिएंसी की वजह से कई इंफेक्शन हो सकते हैं जिनकी पहचान कर उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसा न होने पर इसका असर रोगी के विभिन्न अंगों पर पड़ सकता है। इसके लिए प्राथमिक स्तर पर पहचान करना जरूरी होता है।

सीएमई में रोगप्रतिरोध क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक जैसे शरीर में उपस्थित विभिन्न घटक लिम्फोसाइट्स, टी सैल्स, इम्यूनोग्लोबीनस, रोगों की उपस्थिति, दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण इम्यूनिटी का घटना आदि विषयों पर प्रमुखता से केस बेस्ड प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी प्रदान की गई।

सीएमई में पीजीआई चंड़ीगढ़ के डॉ. अमित रावत, डॉ. मनप्रीत धालीवाल, एम्स रायपुर के डॉ. जॉयदीप सामंता, डॉ. सिमरन सयाल ने इम्यूनोडेफिसिएंसी के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री में विशिष्ट योगदान के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. पी.के. पात्रा को सम्मानित किया गया।

सीएमई में पोस्टर प्रस्तुति, क्विज और पेंटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। सीएमई का आयोजन एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल कैमिस्ट्स एंड लैब मेडिसिन प्रेक्टिशिनर्स के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

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