Home छत्तीसगढ़ संविधान हमे व्यक्तिगत रूप से स्वतंत्रता से जीने के अधिकार प्रदान करता...

संविधान हमे व्यक्तिगत रूप से स्वतंत्रता से जीने के अधिकार प्रदान करता है : न्यायमूर्ति राजेंद्र चंद्र सिंह

113
0

श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में मनाया गया संविधान दिवस

रायपुर (विश्व परिवार)।  श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में संविधान दिवस मनाया गया, आयोजन का विषय “आदिवासियों के सामाजिक-कानूनी मुद्दे” रहा | इस उपलक्ष में विश्वविद्यालय के विधि विभाग और राजनीति विज्ञान एवं समाजशास्त्र विभाग द्वारा वाद-विवाद प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता और फूड स्टॉल का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगित में प्रतिभागियों एवं विजेताओ को मुख्य अतिथि और विशेष अतिथि द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए |

कार्यक्रम के आरंभ में  विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति श्री हर्ष गौतम ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सभी को भारत के संविधान कि प्रश्तावना की शपथ दिलाई और कुलसचिव डॉ सौरभ के. शर्मा ने अपने शब्दों में विद्यार्थियों को संविधान के महत्वपूर्ण तथ्यों को समझाया|

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. सिंह ने सभी को संविधान दिवस की शुभकामनायें प्रेषित करते हुए कहा कि आधुनिक भारत का संविधान देश की सभी सांस्कृतिक एवं नैतिक भावनाओं को समाहित करता है | आज अमृतकाल में जब हम 75 वर्ष की यात्रा पूरी कर अगले 25 वर्ष की यात्रा शुरू कर रहे हैं तो संविधान का यह मंत्र देश के लिए एक संकल्प बन रहा है | आजादी का यह अमृतकाल देश के लिए एक संकल्पकाल है |

कार्यक्रम को सम्भोदित करते हुए ,मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति श्री राजेंद्र चंद्र सिंह सामंत पूर्व न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपने शब्दों में कहा की संविधान में दिए गए दायित्वों को देश के सभी नागरिकों को हमेश निभाना चाहिए और संविधान हमे व्यक्तिगत रूप से स्वतंत्रता से जीने के अधिकार प्रदान कर यह भी सुनिश्चित करता है की हमारे देश का शाशन और प्रशाशन किसे चले| संविधान हमे अधिकार के साथ दायित्व भी देता है जिन्हें हमे कभी भी नहीं भूलना चाहिए|
सम्मानित अतिथि एडवोकेट.शैलेन्द्र दुबे बीसीआई के कार्यकारी सदस्य ने कहा की संविधान के तहत देश का भविष्य एवं योजनाएं समाहित है| उन्होंने कहा कि संविधान के प्रश्तावना में “हम भारत के लोग”  यह दर्शाता है की भारत का संविधान बनाते समय हमारे प्रत्येक देशवाशियों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान हरहा है, साथ ही साथ संविधान बनाने की प्रक्रिया में अधिवक्ताओ का योगदान है जो एक नोबेल प्रोफेशन के रूप में आतंरिक रूप से रक्षा करते है|

विशेष अतिथि श्री अश्वनी कांगे संयुक्त सचिव, अखिल आदिवासी समाज छ.ग ने संविधान में दी गई सूचि 5 और सूचि 6 के तेहत आदिवाशियो एवं उनके अधिकारों के बारे में अपने विचार साझा किए| कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर विष्णु कोनूरयार एच.एन.एल.यू, रायपुर ने आदिवाशियो एवं उनके विभिन्न दृष्टिकोण, सिद्धांतों, मुद्दों और उनकी बदलती जरूरतों के बारे में बताया गया।

कार्यक्रम में विधि विभाग के प्राचार्य प्रो. सी.एल पटेल, हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट डॉ. अन्ताराम प्रधान , कला विभागे के डीन डॉ  मनीष वर्मा एवं समस्त अध्यापक उपष्ठित थे|

————————————————————————–

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here