Home धर्म सिद्ध चक्र विधान मे पूजन द्वारा सिद्ध भगवान का गुणानुवाद किया जाता...

सिद्ध चक्र विधान मे पूजन द्वारा सिद्ध भगवान का गुणानुवाद किया जाता है,आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

86
0

पारसोला(विश्व परिवार)– श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान आराधना महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन पारसोला में 17 मार्च से 26 मार्च तक आयोजित किया गया है
सिद्ध चक्र मंडल विधान के तीसरे दिन 32 अध्र्य चढ़ाए गए । प्रथम दिवस 8 अध्र्य और दूसरे दिन 16 अध्र्य समर्पित किए गए।पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने पूजन के दौरान चढ़ाए जाने वाले द्रव्य किस आशय से चढ़ाए जाते हैं उन गुणों बाबद सरल भाषा में बताया। जो सिद्ध भगवान का गुणागुवाद किया जाता है ,उनकी प्रशंसा की जाती है उसकी विवेचना करते हुए बताया कि जो संसार के बंधनों से छूट गए हैं जिनमें अनंत दर्शन ,अनंत ज्ञान, अनंत सुख और अनंत वीर्य प्रकट हो गए हैं, जो द्रव्य कर्म ,भाव कर्म, और नौकर्म से सर्वथा रहित हो गए हैं उन्हें सिद्ध कहते हैं।

यह मंगल देशना पारसोला सम्मति भवन में आयोजित धर्म सभा में पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने प्रकट की। ब्रह्मचारी गज्जू भैया ,राजेश पंचोलिया इंदौर अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि ऐसे अनंत सिद्ध परमात्मा लोक के अग्रभाग में विराजित हैं सिद्ध भगवान का समुदाय ही सिद्धचक्र कहलाता है ।इस सिद्धचक्र विधान में सिद्ध दशा प्रकट करने का विधान अर्थात उपाय बताते हुए सिद्धों का गुणानुवाद किया गया है ।ज्ञानी का परम लक्ष्य पूर्ण सुख प्रकट करना है अर्थ अतः उसके हृदय में पूर्ण सुखी अरिहंत और सिद्ध परमेष्ठी ,तथा पूर्ण सुख के आराधक आचार्य ,उपाध्याय साधु परमेष्ठि और पूर्ण सुख का मार्ग बताने वाली जिनवाणी के प्रति भक्ति भाव होना स्वाभाविक है। इसलिए सिद्ध भगवन के गुणानुवाद के माध्यम से अपने लक्ष्य के प्रति सतर्क रहते हुए अशुभ भावों से सहज बच जाते हैं। सिद्ध चक्र विधान से अनेक रोग शारीरिक रोग तो दूर होते ही हैं किंतु जन्म मरण का रोग भी दूर होता है आत्मा के रोग राग द्वेष विकारी भाव भी सिद्ध भगवान की आराधना से दूर होते हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here