HIGHLIGHTS
- तीन दिनों तक रहेगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
- महानदी के पवित्र तट पर सिरपुर महोत्सव का विशेष महत्व
- माघी पूर्णिमा के दिन पुण्य स्नान और गंधेश्वर महादेव के अलौकिक दर्शन से होती है शुरुआत
महासमुंद (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों में महोत्सव व मड़ई-मेला का आयोजन ख़ास पर्व व तिथियों में किया जाता है। वहीं सिरपुर महोत्सव का भी विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष यह महोत्सव महानदी तट पर माघ पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होता है। तीन दिवसीय सिरपुर महोत्सव इस वर्ष 24 से 26 फरवरी तक आयोजित होगा। आस-पास गांव के लोग भोर के समय महानदी में स्नान कर गंधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते है।
तीनों दिन ख्याति प्राप्त एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके अलावा महोत्सव के तीनों दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा विभिन्न विभागों द्वारा विकास गतिविधियों और विभागीय योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी, स्व-सहायता समूहों द्वारा स्टॉल में बिक्री के लिए सजेंगे। वहीं बच्चों के लिए झूले-सर्कस अन्य रोमांचक गतिविधियां देखने मिलती है। बच्चे, युवा व सभी उम्र के लोग मेले में घूम-फिर कर रोमांचित होते है और अपनी खुशियों का इजहार करते हैं।
सिरपुर को राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय हेरिटेज के रूप में विकसित करने और ज्यादा पहचान दिलाने शासन कटिबद्ध है। जो भी जरूरी कार्य है किए जा रहे है। सिरपुर बहुत ही विस्तृत है। जो लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इस तरह अन्य जगह विस्तारित बौद्ध केन्द्र नहीं हैं। सिरपुर, डोंगरगढ़ और मैनपाट को टूरिज्म सर्किट से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। पर्यटन सर्किट से जुड़ जाने से इस ओर सैलानियों का रूझान बढ़ेगा। जल्दी ही सिरपुर पूरे विश्व मानचित्र पर अंकित होगा। छत्तीसगढ़ का प्राचीनकाल से ही सभी क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर योगदान रहा है। छत्तीसगढ़ हमेशा से देवभूमि रहा है। सिरपुर शिव, वैष्णव, बौद्ध धर्मों के प्रमुख केन्द्र भी है।
सिरपुर अपनी ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। यह स्थल पवित्र महानदी के किनारे पर बसा हुआ हैं। सिरपुर में सांस्कृतिक व वास्तु कौशल की कला का अनुपम संग्रह हैं। सिरपुर के विकास के लिए नित नए प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें भव्य स्वागत गेट का निर्माण, सिरपुर मार्ग पर तालाबों का सुंदरीकरण, सिरपुर मार्ग पर सुंदर सुगंधित कौशल्या उपवन निर्माण, कोडार-पर्यटन (टैटिंग व बोटिंग), कोडार जलाशय तट पर वृक्षारोपण और सिरपुर के रायकेरा तालाब आदि शामिल है।
सैलानियों के लिए रायकेरा तालाब में बोटिंग पिछले साल से शुरू हो गयी है। वहीं नजदीक कोडार जलाशय में नौका विहार के लिए बोटिंग की सुविधा सैलानियों को उपलब्ध है। वहीं कम दाम पर टेंटिंग में ठहरने के इंतजाम भी किए गए हैं। फिलहाल चार टेटिंग लगाए गए है। जिसमें एक टेंटिंग में दो व्यक्तियों के सोने और आराम करने के लिए पर्याप्त जगह है। टूरिस्ट और बच्चों के लिए क्रिकेट, वॉलीबॉल, कैरम, शतरंज के साथ ही निशानेबाजी की सुविधा भी इस इको पर्यटन केंद्र में उपलब्ध है।
सिरपुर पहले से ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। वृक्षारोपण के ज़रिए इसे और भी हरा-भरा किया जा रहा है। पर्यटकों के विश्राम सुविधा के लिए सुंदर कौशल्या उपवन वाटिकाएं तैयार हो गई है। इन उपवनों में प्रतिदिन रामचरित मानस का पाठ, भजन-कीर्तन स्थानीय मंडलियों द्वारा किया जा रहा है।
वृक्षारोपण में बेर, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, करंज, आंवला आदि के पौधे शामिल किए गए है। ताकि ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ लोगों को जैव विविधता का एहसास भी हो। इस इलाके में राम वन गमन पथ में छह ग्राम पंचायतों को मुख्य केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें अमलोर, लहंगर, पीढ़ी, गढ़सिवनी, जोबा व अछोला शामिल है। सड़क के दोनों किनारों पर फलदार, छायादार पौधे लगाए जायेंगे।
महोत्सव के शुभारंभ पर नहीं आ रहे मंत्री
ज्ञात हो कि सिरपुर व राजिम महोत्सव का शुभारंभ एक साथ माघी पूर्णिमा पर होता है। अबतक देखा गया है कि सरकार के मंत्रियों का ध्यान राजिम की ओर अधिक रहता है, परिणामतः सिरपुर महोत्सव का आयोजन महज औपचारिकता तक सिमट कर रह जाता है। इस बार भी आमंत्रण में मुख्य अतिथि के तौर पर सीएम का नाम अंकित है, बावजूद प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि सरकार के मंत्री महोत्सव शुभारंभ पर नहीं पहुंच रहे हैं। यहां महोत्सव शुभारंभ पर सांसद ही बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। लोगो का कहना है कि राजिम 15 दिवसीय कल्प कुंभ है, जबकि सिरपुर महोत्सव का आयोजन तीन दिन का है। यहां प्रदेश सरकार की उपस्थिति तीन दिन न सही शुरू और अंतिम दिन तो होनी ही चाहिए।
प्रशासन ने रखा ध्यान
इस बार सिरपुर महोत्सव को लेकर आमंत्रण विवाद नहीं है। प्रशासन ने सरपंच, जनपद जिला पंचायत सदस्य, विधायक, पूर्व विधायक तक को अतिथि बनाया है। जिससे पक्ष व विपक्ष संतुष्ट है। प्रशासन ने पिछली बार के विबाद को ध्यान रखा और पुनरावृत्ति नहीं होने दिया।