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सोनतीर्थ घाट में जलकुंभी को हटाकर अस्थि विसर्जन करने की लोगों की मजबूरी

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छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी राजिम का त्रिवेणी संगम जलकुंभी से अटा पड़ा

राजिम(विश्व परिवार)– छत्तीसगढ़ के प्रयागराज तथा कुंभ नगरी राजिम के त्रिवेणी संगम का हाल बेहाल है यहां नदी में अटल घाट, संगम घाट, बेलाही घाट, नेहरू घाट तथा सोनतीर्थ घाट प्रमुख है। इनमें से अधिकतर छत्तीसगढ़ के पूरे 33 जिला, दूसरे प्रदेश तथा विदेश से आने वाले श्रद्धालु अपने पूर्वजों का अस्थि विसजन पुण्य स्नान इत्यादि धार्मिक अनुष्ठान सोन तीर्थ घाट में करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा घाट पर चौड़ी बना दिया है। बाकी घाट की अपेक्षा यहां सीमेंटेड सीढ़ी बना दिया गया है। देख रेख व साफ सफाई नहीं होने से घाट में गंदगी हमेशा बिखरी हुई रहती है। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने कई बार आवाज उठाया शायद उनकी आवाज में दम नहीं थी इसलिए सफाई को गति नहीं मिल पाई। लगातार साफ सफाई नहीं होने से परिस्थितियों विकराल रूप धारण करती जा रही है। अब तो बाहर से आने वाले श्रद्धालु दूसरी बार यहां आने के लिए तौबा कर रहे हैं इससे लोगों की श्रद्धा पर सीधे चोट हो रही है। पुल के नीचे सोनतीर्थ घाट में नीचे के एनीकट के गेट बंद करने के कारण कुछ पानी तो है लेकिन उसमें जलकुंभी पूरी तरह से छा गया है। स्नान करने तथा अस्थि विसर्जन करने की जगह जलकुंभी इस तरह से फैला हुआ है कि पानी नजर नहीं आते। स्नान करने के लिए बाहर से आने वाले श्रद्धालु अपने हाथों से पहले हटाते हैं उसके बाद डुबकी लगाते हैं। तुरंत फ़िर छा जाता है। फिर से हटाना पड़ता है तब कहीं अस्थि विसजन करते हैं। गुरुवार को दोपहर 12 से 1:00 बजे के बीच बाहर से आने वाले श्रद्धालु को ऐसा ही करना पड़ा। उनसे चर्चा करने पर उनका कहना था कि कम से कम हमारे छत्तीसगढ़ के पवित्र त्रिवेणी संगम नदी को स्वच्छ रखना चाहिए। ऐसा नहीं कर पाना उनकी सबसे बड़ी असफलता है या फिर उदासीनता की ओर इंगित करती है। हमें नहीं पता था कि राजिम के त्रिवेणी संगम की हालत इस तरह है वरना हम उत्तरप्रदेश के प्रयाग चले जाते। कम से कम नदी के इस घाट के 200 मीटर तक तो साफ सुथरा रखना ही चाहिए था यहां तो पूरी नदी के दोनों पाट जलकुंभी से पट गया है। बताना जरूरी है कि प्रदेश सरकार के द्वारा इस बार माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक 15 दिनों के लिए कुंभ मेला का आयोजन किया गया जिसमें करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा दिया गया। अच्छा होता उनमें से कुछ करोड़ रूपया नदी की सफाई में लगा देते तो श्रद्धालु बिचकते नहीं बल्कि उनकी श्रद्धा और बढ़ जाती। घाट के आसपास कपड़े का ढेर लगा है। कुछ महिलाएं छलनी लेकर पानी में डूब रही थी और उसमें से रेत निकालकर उसमें रूपए पैसे व सोना चांदी ढूंढकर फिर डुबकी लगाते इससे पानी की गंदगी और बढ़ रही थी। इसे भी रोकने वाला कोई नहीं है। श्रद्धालुओं को गंदे और मिले कुचेले पानी में धार्मिक अनुष्ठान करने की बहुत बड़ी मजबूरी है। जानकारी के मुताबिक राजिम नगर पंचायत है। जिला मुख्यालय गरियाबंद यहां से 44 किलोमीटर की दूरी पर तथा राजधानी रायपुर 45 किलोमीटर दूर है। वहीं उपस्थित सालिकराम, राम मनोहर, रामचंद्र, मयंक, राहुल, सोनिया और कीर्ति का कहना था कि स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है तो जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। त्रिवेणी संगम पर तो पूरे प्रदेश के लोगों का बड़ी संख्या में अस्थि विसर्जन, मुंडन संस्कार, पुण्य स्नान के लिए आना-जाना लगा रहता है इसलिए प्रदेश सरकार के संबंधित विभाग को चिंता करनी चाहिए।

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