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स्वयं के द्रव्य से दान, पूजन ,भक्ति, श्रद्धा, विश्वास, अंतरंग उत्साह से करने से सफलता पुण्य मिलता है-आर्यिका श्री महायश मति माताजी

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बांसवाड़ा(विश्व परिवार)– वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज संघ सहित बांसवाड़ा की मोहन कॉलोनी में विराजित है। आज की धर्म सभा में संघस्थ शिष्या आर्यिका श्री महायशमति माताजी ने प्रवचन में पूजन के बारे में विवेचना कर बताया कि श्रावक के 6 आवश्यक कर्त्तव्य में जिन पूजा भी एक प्रमुख कर्तव्य है ।भगवान की पूजन किस प्रकार करना चाहिए उससे क्या फल मिलता है उसे बारे में प्रवचन में बताया कि आठ द्रव्यों से जिनेन्द्र भगवान की पूजन करना चाहिए पूजन सामग्री एक थाली से दूसरे थाली में चढ़ाते समय भगवान के गुणों का स्तवन कर द्रव्य चढ़ाए जाते हैं भगवान के अनंत गुणों में अनंत ज्ञान ,अनंत दर्शन, अनंत वीर्य ,आदि गुणों की हमें भी प्राप्ति हो ।पूजन करने से क्रोध , मान ,माया और लोभ आदि कषाय कम होती है । मोहन कॉलोनी समाज के अध्यक्ष सुमति लाल बोहरा, एवम महामंत्री महावीर नशनावत अनुसार माताजी ने प्रवचन में बताया कि भगवान के दर्शन पूजन दान श्रावक जनों को स्वयं के द्रव्य से करना चाहिए तभी उत्तम फल मिलता है और पूजन भक्ति पूर्वक श्रद्धा से विश्वास और उत्साह से अंतरंग भावना पूर्वक करने से सफलता और पुण्य मिलता है सभी को प्रातः उठने के बाद भगवान के दर्शन अभिषेक करने के बाद ही अपने कार्य प्रारंभ करना चाहिए इसी प्रकार के संस्कार बच्चों को भी देना चाहिए माता-पिता को बच्चों को मंदिर साथ में धर्म सभा में साथ लाना चाहिए आप अन्य धर्म के मंदिर में जाने पर वहां के अनुशासन का पालन करते हैं, किंतु स्वयं के धर्म में अनुशासन आपको याद नहीं रहता है इसी कारण हम दुखी और अशांत हैं जब भी नगर में साधु परमेष्ठी का संघ आवे उनके आहार, विहार निहार, में साथ रहकर सहयोग करना चाहिए जितने समय आप संत समागम में रहते हैं उतने समय आपके पापों की निवृत्ति होती है।
दोपहर को असम गोहाटी के श्रीमती सुनीता भागचंद चूड़ीवाल परिवार ने आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के चरण प्रक्षालन कर भक्ति भाव पूर्वक पूजन की ।इस अवसर पर सनावद से सुषमा प्रदीप पंचोलियां इंदौर से मिताली दिलीप जैन संगीता पंचोलिया भी उपस्थित रहे।

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