(विश्व परिवार)-परम पूज्या भारत गौरव स्वस्ति धाम प्रणेता गणिनी आर्यिका 105 स्वस्ति भूषण माताजी का फाटाखेड़ास्थित गुरुधाम में हुआ। जहां भक्तों के बीच गुरु मां की भव्य अगवानी हुई। गुरु धाम पहुंचने पर गुरु धाम के प्रमुख श्री लोकेश जैन एवं उनके परिवार ने गुरु मां की भक्ति पूर्वक अगवानी की एवं अपने आप को धन्य माना। इस अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज कोटा के महामंत्री श्री विनोद जैन टोरडी, यथार्थ पाटनी, लोकेश जैन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडीआदि ने गुरु मां के प्रति अपने भाव प्रकट किए। हिंदी नव वर्ष होने से भक्तों में गुरु मां के दर्शन के प्रति काफी उत्साह देखा गया।
इस अवसर पर गुरु मां स्वस्ति भूषण माताजी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह जान लेना चाहिए कि मेरा घर ही मेरी आत्मा है। लेकिन यह मन घर में रहता ही नहीं है। यह मन बाहर ही रहता है। उन्होंने कहा कि जो यह जान लेता है कि मेरा घर ही मेरी आत्मा है, सच्चे अर्थों में वही धर्म करता है। उन्होंने कहा कि आत्मा को जानना पर्याय को जानना है में जहां रह रहा हूं पराया घर किराए का घर है। शरीर में रहकर आत्मा का ध्यान आना चाहिए। शरीर को अपना मान लिया है जो नहीं है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए जोर देते हुए कहा कि तुम शरीर का उपयोग करते हो या शरीर तुम्हारा उपयोग करता है। यदि तराजू से तोला जाए तो घाटे का सौदा होगा। 12 घंटे आत्मा को दें और 12 घंटे शरीर को दें। उन्होंने ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि ध्यान करना, स्वाध्याय करना,संयम रखना, गुरु सेवा करना सब अपने लिए है। धर्म का मुख्य कारण आत्मा आत्मा लेकर अपने आप को समर्पित कर दो, परिणामों को शांति मिलेगी। उन्होंने कहा जैसी संगति में रहोगे वैसा ही ज्ञान आएगा। जैसी संगत वैसी रंगत। त्यागी के साथ रहोगे तो तुम्हारा मन भी तुम्हें त्यागी और ले जाएगा। विषयों की चाह के कारण मन बाहर जा रहा है। विषयों में ज्यादा रहते हैं और ध्यान कम करते हैं। उन्होंने कहा जितनी छोड़ी इच्छा उसकी होगी दीक्षा नहीं छोड़ी इच्छा उसकी नहीं होगी दीक्षा। त्याग जितना होगा उतना अपने पास आएंगे। अच्छे कर्मों के भाव बनना चाहिए। और प्रभु की कृपा मानना चाहिए।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312