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हादसे में टूट जाए दांत तो फेंके नहीं, फिर से जुड़ सकता है

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HIGHLIGHTS

  • दांतों से जुड़ी बीमारियां जिस तेजी से बढ़ती जा रही है।
  • नई तकनीकों के माध्यम से अब इसका उपचार भी आसान होता जा रहा          है।

    इंदौर (विश्व परिवार)– दांतों से जुड़ी बीमारियां जिस तेजी से बढ़ती जा रही है, वैसे ही नई तकनीकों के माध्यम से अब इसका उपचार भी आसान होता जा रहा है। निजी के साथ ही अब शासकीय अस्पतालों में भी मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलने लगी है। कई बार सड़क हादसे या विवाद के दौरान दांत टूट जाते हैं, जिन्हें अकसर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं। उन्हें ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
    यदि उस दांत को संभालकर डाक्टर के पास पहुंच जाएं तो वहीं दांत वापस से लगाया जा सकता है। शासकीय स्वशासी दंत चिकित्सा महाविद्यालय  में मरीजों के लिए यह सुविधा उपलब्ध है। यह प्रदेश का एकमात्र शासकीय अस्पताल है, जहां मरीजों को इस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं। अस्पताल में स्पलिंटिंग तकनीक की मदद से असली दांत को वापस जोड़ा जा रहा है।

    वहीं यदि दांत को फेंक देते हैं तो फिर विकल्प के तौर पर नकली दांत मरीजों को लगवाना होता है। प्राचार्य संध्या जैन ने बताया कि हर माह टूटे हुए दांत लेकर करीब पांच-छह मरीज आते हैं। हालांकि लोगों में इसे लेकर अभी भी जागरूकता की आवश्यकता है, कई लोग दांतों को फेंक देते हैं। हमारे यहां आने वाले मरीजों में बच्चे भी शामिल है, क्योंकि कई बार खेलने के दौरान उनके दांत टूट जाते हैं। इस तकनीक से किसी भी उम्र के व्यक्ति का टूटा दांत दोबारा जुड़ सकता है।

    एक घंटे में पहुंचे डाक्टर के पास
    दंत रोग विशेषज्ञ डा. कुलदीप राणा ने बताया कि यदि किसी का दांत टूट जाता है तो उसे दांत को तुरंत दूध में डालकर या फिर मुंह के अंदर रखकर सीधे डाक्टर के पास पहुंचना चाहिए। यदि एक घंटे के अंदर मरीज अस्पताल पहुंच जाते हैं तो इसका परिणाम अच्छा होता है। दांत जहां से निकला हो, वहां खून जमा होता है। स्पलिंटिंग तकनीक के माध्यम से उस खून को साफ कर वहां तार से दांत को अस्थायी तौर पर जोड़ा जाता है। एक महीने बाद दांत पूरी तरह जुड़ जाता है। मरीजों को इसके लिए दो से तीन बार डाक्टर से उपचार करवाना पड़ता है। शासकीय अस्पताल में कम शुल्क में ही मरीजों का इलाज हो जाता है। बता दें कि निजी अस्पताल में भी मरीजों को यह सुविधा मिलती है।

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