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1024 अर्घ्य की पूर्णाहुति के साथ सिद्ध चक्र महामंडल विधान का हुआ समापन।

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विमानोत्सव कार्यक्रम में निकली श्रीजी की भव्य शोभायात्रा।

विश्व शांति की भावना से आत्म कल्याण के लिए किये गये धार्मिक अनुष्ठान जीवन में निश्चित ही फलीभूत होंगे – आर्यिका प्रशम मति माताजी

तालबेहट(ललितपुर)(विश्व परिवार)– बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि की पावन धरा पर सोलह कारण महापर्व में नववर्ष आगमन एवं मुनि समय सागर के आचार्य पदारोहण कार्यक्रम के उपलक्ष्य में वात्सल्य मूर्ति मुनि सुव्रत सागर महाराज के आशीर्वाद से पं. महेंद्र कुमार जैन के निर्देशन में शुक्रवार को सिद्ध चक्र महामंडल विधान, हवन एवं विश्व शांति महायज्ञ का शुभारम्भ देव आज्ञा एवं आचार्य निमंत्रण के बाद मंगल घटयात्रा से किया गया।

तत्पश्चात मंडप शुद्धि, श्रीजी विराजमान, सकलीकरण का आयोजन किया गया। जिसमें सरोज सुभाष जैन, सुधा सुरेश जैन महायज्ञनायक, सपना सौरभ जैन सौधर्म इन्द्र, समता सुरेन्द्र जैन कुबेर इन्द्र, सोनाली विकास जैन श्रीपाल-मैंना सुंदरी, साधना प्रमोद, उर्मिला सुधीर, समता जितिन यज्ञनायक, अंजू नरेंद्र ईशान इन्द्र, पुष्पा अरविन्द सानतकुमार इंद्र, आशा संतोष माहेंद्र इन्द्र, रजनी प्रमोद ब्रह्म इन्द्र, सुनीता सुकमाल लांतव इन्द्र, नीलम जयकुमार शुक्र इन्द्र, अरुणा राजकुमार शतार इन्द्र, अंगूरी रमेश आणत इन्द्र, चंदा आनंद जैन प्राणत इन्द्र, कल्पना रविंद्र आणत इन्द्र, सुषमा विजय अच्युत इन्द्र, सीमा जिनेन्द्र प्रत्येन्द्र, कीर्ति प्रबल बाहुबली, स्वप्निल जैन भरत, हर्षिल जैन बालेन्द्र एवं श्रावक श्रेष्ठी अंगूरीबाई, प्रभा राजेंद्र जैन, उषा सुमेर चंद्र, गुलाब बाई राजकुमार, चंदा पवन जैन, अंजना सुशील मोदी, राजुल प्रदीप जैन, नीतू विकास जैन, उत्तमचंद्र, विजय कुमार, संदीप कुमार, अक्षत जैन पवा की इन्द्र प्रतिष्ठा की गयी। ध्वजारोहण शशि सुरेशचंद्र एवं मीना सतीशचंद्र ने किया। शनिवार को त्रिकाल चौबीसी के मूलनायक मुनिसुव्रत नाथ स्वामी एवं रविवार को अतिशय युक्त चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी का महामस्तिकाभिषेक किया।

बुधवार को आचार्य ज्ञेय सागर महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका प्रशम मति एवं आर्यिका उपशम मति माताजी का बबीना से विहार कर पावागिरि जी में मंगल प्रवेश हुआ। तो भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने हाइवे राजमार्ग साइन बोर्ड पहुंचकर भव्य अागुवानी की, क्षेत्र वंदना कर आर्यिका संघ ने विधान में सानिध्य प्रदान किया। नित्यमय, अभिषेक शांतिधारा के उपरांत विधान का आयोजन किया गया, जिसमें अहमेन्द्र जैन एन्ड पार्टी गंजवासौदा के मधुर संगीत में भक्ति पूर्वक द्विगुण -द्विगुण विधान में शुक्रवार को 1024 अर्घ्य की पूर्णाहुति के साथ सिद्ध चक्र महामंडल विधान का समापन हुआ। इस मौके पर आर्यिका उपशम शम मति माता जी ने कहा कि सिद्ध भूमि पर सिद्ध चक्र महामंडल विधान और ऐसे अवसर पर नियम संयम लेकर व्रतों को धारण करना अनंत पुण्य बंध होता है। उन्होंने श्रीपाल मैना सुंदरी का वृत्तांत सुनाते हुए कहा कि सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन असीम पुण्य बंध का कारण है, विशुद्धि पूर्वक सिद्धों की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आर्यिका प्रशम मति माता जी ने कहा कि विश्व शांति की भावना से आत्म कल्याण के लिए किये गये धार्मिक अनुष्ठान जीवन में निश्चित ही फलीभूत होंगे। व्यक्ति जीवन जो कमाता है उतना कभी नहीं भोग सकता और बच्चों के लिये छोड़कर चला जाता है, लेकिन जो साथ में जाता है उस पर किसी का ध्यान नहीं है, अच्छे कर्म और पुण्य ही इंसान के साथ जाता है, वह कितना कमाया और उसका कितना संचय किया ये महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा जो पाप करने से रोके वह पुण्य और जो पुण्य करने से रोके वह पाप कर्म है।

मंगलाचरण बा. ब्र. दीपा दीदी, गीतू दीदी, रानू दीदी एवं भाषा, सोनाली, नेहा, मोना आदि ने किया। विश्व शांति महायज्ञ एवं हवन के बाद दोपहर की बेला में विमानोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकली, जिसमें श्री जी को विमान में लेकर श्रद्धालु, धर्म ध्वजा लेकर श्रावक श्रेष्ठी, मंगल गीत गाती हुई महिलाएं, सत्य-अहिंसा के नारे व जयकारे लगाते हुए पुरुष एवं नृत्य करते हुए युवा चल रहे थे। क्षेत्र परिक्रमा कर विमान वापस मंदिर जी पहुंचा जहाँ कलशाभिषेक एवं फूलमाल का आयोजन किया गया। क्षेत्र प्रबंध समिति ने विधान पुण्यार्जक परिवार एवं प्रमुख पात्रों का सम्मान किया। रात्रि में मंगल आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। संचालन इंजी के.के. जैन एवं अहमेन्द्र कुमार जैन ने संयुक्त रूप से किया। अंत में क्षेत्र अध्यक्ष ज्ञानचंद्र पुरा एवं अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम मे सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रीय सहयोग रहा।

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