Home धर्म सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिन 1024 अर्घ किये समर्पित

सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिन 1024 अर्घ किये समर्पित

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  • आतम का सच्चा सुख भगवान की भक्ति में है – आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण।
  • विश्वशांति महायज्ञ हवन एवं विमानोत्सव कार्यक्रम शुक्रवार को – विशाल जैन।
  • इतिहास में पहली बार भोंयरे में भी हो रहा सिद्धचक्र महामंडल विधान।

ललितपुर(विश्व परिवार)। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि की पावन धरा पर अष्टाह्निका महापर्व में आचार्य सुमति सागर महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता जी, विश्वयश मति माता जी एवं क्षुल्लिका आप्तमति माता के मंगलमय सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. अभिषेक भैया पवई के निर्देशन में सिद्धचक्र महामंडल विधान में निरंतर धर्म प्रभावना हो रही है। चतुर्दशी को सातवें दिन मंजीत एन्ड पार्टी भोपाल के मधुर संगीत में भक्ति भाव के साथ सिद्धों की आराधना कर 1024 अर्घ समर्पित किये। इस मौक़े पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता ने धर्म का मर्म समझाते हुए कहा आतम का सच्चा सुख भगवान की भक्ति में है, हमें कभी भी भगवान का आश्रय नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा अष्टाह्निका महापर्व में सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन एवं नंदीश्वर द्वीप की भक्ति असीम पुण्य का कारण है। रात्रि में मंगल महाआरती एवं शास्त्र प्रवचन का आयोजन किया गया। मंदिर समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा ने बताया की शुक्रवार को विश्वशांति महायज्ञ हवन एवं विमानोत्सव कार्यक्रम के साथ सिद्ध चक्र महामंडल विधान का समापन होगा। वहीं इतिहास में पहली बार भोंयरे में 12 नवंबर से बा.ब्र. पारस भैया प्रशम के निर्देशन में सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारम्भ किया गया। आर्यिका संघ त्यागीवृत्ति एवं ब्रह्मचारिणी बहिनों के तत्वाधान में अतिशय युक्त चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी का मस्तिकभिषेक एवं दोपहर में चौंसठ रिद्धि विधान का आयोजन किया। कार्यक्रम में डॉ. महेंद्र जैन विदिशा, जयकुमार, दर्शना अजित कुमार, ऋचा अभिषेक जैन, ऋषभ कुमार, गौरव जैन, अनुराग, अर्चिता जैन विरधा, मनीष कड़ेसरा एवं क्षेत्र प्रबंध कार्यकारिणी समिति एवं सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन क्षेत्र अध्यक्ष ज्ञानचंद्र जैन एवं आभार व्यक्त महामंत्री जयकुमार जैन ने किया।

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